________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: गृहस्थ देशना विधि ADAN दुःखपरम्परानिवेदनमिति // 26 // (84) एक दुख के कारण दूसरा दुख, दुराचार से दुख उससे फिर दुराचार, इस तरह उन को दुःख की परंपरा समझाना चाहिये. तथा-उपायतो मोहनिन्देति // 27 // (85) और उपाय से मोह का कष्टदायक फल बताकर मोह की निन्दा करनी चाहिये. तथा-सज्ज्ञानप्रशंसनमिति |28|| (86) और सद्ज्ञान की प्रशंसा करना चाहिये. तथा-पुरुषकारसत्कथेति // 26 // (87) और पुरुषार्थ (उद्योग) की प्रशंसा करनी चाहिये और बताना चाहिये कि जो पुरूषार्थ को छोड़ कर देव का अनुसरण करता है उसका दैव (भाग्य) निष्फल जाता है. तथा-वीर्यर्द्धिवर्णनमिति // 30 // (88) और वीर्य की ऋद्धि का वर्णन करना चाहिये. तथा-परिणते गम्भीरदेशनायोग इति // 31 // (86) और (उपदेश) से शुद्ध परिणाम होने पर गंभीर देशना देना चाहिये. श्रुतधर्मकथनमिति // 32 // (60) श्रुतधर्म का कथन करना चाहिये. 603 For Private And Personal Use Only