________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %3Dगुरुवाणी गृहस्थ देशना विधि तथा-ज्ञानाद्याचारकथनमिति ||11|| (66) और ज्ञानादि आचारों का वर्णन करना चाहिये. तथा-निरीहशक्यपालनेति ||12|| (70) ऐहिक एवं पारलौकिक फल की इच्छा का त्याग कर पांचो आचारों (ज्ञानाचार, दर्शनाचार, चारित्राचार, तपाचार एवं वीर्याचार) का यथाशक्ति पालन करना चाहिये. तथा-अशक्ये भावप्रतिपत्तिरिति // 13 // (71) और अशक्य होने पर भी उस ओर भावना रखनी चाहिये. तथा-पालनोपायोपदेश इति // 14 // (72) ज्ञानादि आचार के पालन का उपदेश करना चाहिये. तथा-फलप्ररूपणेति // 15 // (73) आचारों के सम्यक रूप से पालन करने पर होने वाले फल की प्ररूपणा करनी चाहिये. देवर्द्धिवर्णनमिति // 16 // (74) देवऋद्धि का वर्णन करना चाहिये. तथा-सुकुलागमनोक्तिरिति // 17 // (75) देवस्थान से च्युत होकर मनुष्य योनि में आने वाला उत्तम कुल में जन्म लेता है. 601 For Private And Personal Use Only