________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी गृहस्थ सामान्य धर्म तथा-गये ज्ञानस्वगौरवरक्षे इति // 38 // उनके निन्दनीय व्यवहार को जान कर अपने गौरव की रक्षा करनी चाहिये. __ तथा-देवातिथिदीनप्रतिपत्तिरिति // 36 // देव, अतिथि व दीन जनों की सेवा करनी चाहिये. तदौचित्याबाधनमुत्तनिदर्शनेनेति // 40 // उत्तम पुरुषों के उदाहरण से देवादि की सेवा में औचित्य का उल्लंघन नहीं करना चाहिये. तथा सात्म्यतः कालभोजनभिति // 41 // और अपनी प्रकृति के अनुकूल योग्य समय पर भोजन करना चाहिये. तथा-लौल्यत्याग इति // 42 // रुचि उपरांत भोजन में लोलुपता नहीं करना चाहिये. __ तथा-अजीर्णे अभोजनमिति // 43 // यदि अर्जीर्ण हुआ तो भोजन नहीं करना चाहिये. तथा-बलापावे प्रतिक्रियेति // 44 // शरीर का बल कम होता प्रतीत हो तो उसका शीघ्र उपाय करना चाहिये. तथा-अदेशकालचर्यापरिहार इति // 45 // उपद्रव ग्रसित, मलिन आचार विचार वाले अयोग्य देश-काल का त्याग करना चाहिये. 596 For Private And Personal Use Only