________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir = गुरुवाणी -गुरुवाणी हा सामान्य गृहस्थ सामान्य धर्म न्याय एव ह्याप्त्युपनिषत्परेति समयविद इति // 8 // न्याय ही धन पैदा करने का अत्यन्त रहस्यभूत उपाय है ऐसा सिद्धान्तवेत्ता कहते है. ततो हि नियमतः प्रतिबन्धककर्मविगम इति // 6 // द्रव्य प्राप्ति में अन्तराय करने वाले (लाभान्तराय) कर्मो का नाश न्याय से ही होता है. सत्यस्मिन्नायत्यामर्थसिद्धिरिति ||10|| उस लाभान्तराय कर्म का नाश होने से भविष्य में धन प्राप्ति होती है. अतोऽन्यथापि प्रवृत्तौ पाक्षिकोऽर्थलाभो निःसंशयस्त्वनर्थ इति // 11 // उससे भिन्न प्रकारसे (अन्याय से) व्यवहार करने से लाभ कभी कभी होता है, अनर्थ तो अवश्य होता है. तथा-समानकुल-शीलादिभिरगोत्रजैर्वैवाह्यमन्यत्र बहुविरुद्धेभ्य इति // 12 // बहुत लोगों से जिनकी शत्रुता हो उन्हें छोड़कर समान कुल, शील वाले भिन्न गोत्री के साथ विवाह करना चाहिये. तथा-द्दष्टाद्दष्टबाधाभीतता इति // 13 // प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष सब उपद्रवों से सावधान रहना चाहिये. तथा-शिष्टाचरितप्रशंसनमिति // 14 // और साधुचरित पुरुषोंकी प्रशंसा करते रहना चाहिये. K 592 For Private And Personal Use Only