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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: संसार में मिले, परन्तु प्रतिक्रिया कभी गलत नहीं होनी चाहिए. उतेजना कभी नहीं आनी चाहिए. आठ दिन क्रोध नहीं करूंगा. बिना पैसे की दवा है, आरोग्य भी मिल जायेगा. भन की शान्ति भी मिल जायेगी. साधना को भी बल मिल जायेगा. मानसिक दृढ़ता भी मिल जायेगी. साइकोलोजिकल ट्रीटमैन्ट है.. यह उपचार है. क्रोध करने से उसका परिणाम कभी अच्छा नहीं आएगा. आंशिक रूप से आपके मन को प्रसन्नता मिलेगी कि मैं उसको कैसा धमकाया? कैसा उसको डांटा? परन्तु उसका कुछ अर्थ नहीं. उसका कोई मतलब नहीं क्योंकि उसके बाद का परिणाम बड़ा गलत होगा. उसकी अन्तर आत्मा को आपने चोट पहुंचाई है किसी को अप्रसन्न करके आप कभी प्रसन्नता प्राप्त नहीं कर सकते. किसी को चोट पहुंचा कर आप अपनी आत्मा का आरोग्य कभी प्राप्त नहीं कर सकते. प्रकृति का नियम है, उसकी आत्मा में जो आज दर्द आज हुआ, वह वह आपकी आत्मा में कल दर्द पैदा करेगा. अपनी भावना इस प्रकार की होनी चाहिए... ___ गंगा नदी पार करके जब राम कृष्ण जा रहे थे, जब गंगा के बीच में उनकी नाव आई. कुछ साथी बैठे थे. सामने कोई व्यक्ति किसी को पीट रहा था. रामकृष्ण की दृष्टि उस पर गई. दृष्टि जाते ही नाव में जोर से चिल्लाये-मुझे मत मारो, मुझे मत मारो. मुझे बड़ी चोट लग रही है. साथियों ने सोचा अचानक क्या हो गया? यहां इनको कोई मार नहीं रहा, पीट नहीं रहा, कोई दुव्यवहार नहीं, यह क्या है? सामने नज़र गई तब लोगों ने देखा. अहा, उसको मारकर के लोग भाग रहे हैं रामकृष्ण यहां मूर्छित हो गये. पानी से शीतोपचार करके उनको जगाया. बैठाया. लोगों ने कहा स्वामी जी, अचानक क्या हुआ? जैसे ही नाव किनारे लगी और जो व्यक्ति गंगा के किनारे लेटा था, बेहोश होकर पड़ा था, उसकी पीठ पर जो निशान था वही निशान रामकृष्ण की पीठ पर नजर आया. मार का उन्होंने ऐसा अनुभव किया कि दूसरे को नहीं, ये मुझे मार रहा है. जो उनकी अनुभूति थी वो ही अनुभूति उनकी पीठ पर नजर आयी. अनुभव किया, इसे कहा जाता है तादात्म्य भाव. महावीर की साधना इसी प्रकार की थी, ऐसी परिष्कृत साधना करुणा और मैत्री की. दूसरे का दुख दर्द वह अनुभव करते थे. महावीर की करुणा बरसती थी, दुखी को देख करके उनके नेत्र से आंसू निकलते थे. यह स्थिति जब अपनी आ जाये, दुखी व्यक्ति को देखकर अपना हृदय जब द्रवित हो जाये, अपने नेत्र से उनके दर्द के आंसू आ जाये, तब आप को बार बार धन्यवाद देना कि मेरा जीवन सफल बना. ऐसी करुणा हमारे अन्दर आनी चाहिए. शब्दों में नहीं आचरण में आना चाहिए. शब्दों से तो बड़ा लम्बा चौड़ा उपदेश दिया जाता है. क्षमापना दिवस आयेगा, तब देख लेना, बड़ा सुन्दर नाटक होगा. सभी सप्रदाय के आयेंगे. बडे जोर-जोर से गर्जना करेंगे, मैत्री की पुकार करेंगे, महावीर का सन्देश न्देश 581 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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