________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी लूंगा. ऐसी मैत्री, प्रेम समता की साधना में और ज्यादा सुगन्ध आ जाये. एक दिन महाराष्ट्र के एक संत तुकाराम अपने खेत में से गन्ने का गठठर ला रहे थे. बहुत सारे खेत से होकर आये, घर पर लेकर आये थोड़े पैसे मिल जाएगा, मजदूरी करते करते. रास्ते में बच्चों को गन्ने बांटते हुए चले आये. घर पर पहुंचे तो मात्र एक गन्ना ही बाकी रहा. सारे मोहल्ले में चर्चा का विषय, क्या भोला सन्त है? खेत में इतने सारे गन्ने लेकर आया इसका हृदय कैसा? परमात्मा निवास करता है, गन्ना बांटते हए चले आये. घरवाली ने बात सुन ली. वह प्रशंसा सहन नहीं हुई. जैसे ही सन्त घर पर आये सामने घरवाली आई, दुर्गा देवी के उग्ररूप में. सन्त एक नाथ तो बड़े प्रसन्न और हाथ में एक ही गन्ना बचा, गन्ने तो बाट दिये, घरवाली ने कहाकैसे दिवालिये होकर घर पर आये. शर्म नहीं आती. गली मोहल्ले वाले क्या तुम्हारा पेट भरेंगे? ये चूल्हा चक्की क्या गांव वालों पर चलेंगे, इतने सारे गन्ने लेकर आये, बांट दिये जैसे उनके बाप का खेत हो. फिर तुमने शादी क्यों की है? शादी करने का मतलब ही क्या था? तुम्हारे परिवार का पेट कौन भरेगा? सन्त तुकाराम कुछ नहीं बोले. इतना कहा कि भरने वाला भरेगा, तू क्यों चिन्ता करती है. परमेश्वर देगा, जिसने जीवन दिया है, वही सब देगा. जिसने दिया है, तन को. वही देगा कफन को. चिन्ता क्यों करते हो, मरने के बाद भी वही चिन्ता करेगा. घरवाली को बड़ा गुस्सा आया. एक तो सब लटाकर आये. ऊपर से मुझे उपदेश देते हो. बड़ा कठोर गस्सा आया. सन्त ने गन्ना उनके हाथ में दे दिया. कि देख सारे गांव वालों को दिया, बच्चों को दिया, अब तू ले ले, तुम्हारे लिए भी लाया. एक गन्ना तो मेरे पास रहा. ____ घरवाली को ऐसा गुस्सा आ रहा था. आवेश में घर के अन्दर कुछ देखा नहीं गन्ना लिया और उन पर जोर से मारा. गन्ने के दो टुकड़े हो गये. परन्तु सन्त तो सन्त थे. हंसते रहे. कहा-भगवन तुझे धन्यवाद. घरवाली मिले तो ऐसी मिले, मुझे तोड़ने का भी कष्ट नहीं दिया. दो भाग हो गये. एक तू खा, एक मैं खाऊ. ऐसी जगह पर आप हों तो कोर्ट में जायें और उसी दिन तलाक दें. सन्त का यह स्वभाव. बालक जैसा हृदय इस तरह से जीवन निर्मल करें. कैसी भी परिस्थिति आ जाये. संसार में कितने भी उतेजना के निमित्त मिल जायें. अपनी स्थिरता तो रहनी चाहिए. उतेजना में भी स्थिरता का प्रयास रहना चाहिए. ऐसा नहीं कि हम उतेजित हो जायें. कितना मधुर परिणाम आया. घरवाली का गुस्सा उतर गया. चरणों में गिर गई, क्षमा याचना की. यह प्रेम का माध्यम था. उस आत्मा को भी पवित्रता का ऐसा सन्देश दिया. क्षमा की भावना से हमेशा के लिए क्रोध मर गया. हमारे जीवन का व्यवहार भी आठ दिन ऐसा बनाये चाहे कैसा भी अशुभ निमित्त मिल जाये. घर में मिले, दुकान में मिले, परिवार में 580 For Private And Personal Use Only