SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 608
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी लोग कई बार कहा करते हैं महाराज, धर्म के घर धार पड़ी. मैंने कहा और कहां पड़ेगी करोड़ पति ही लूटा जायेगा, जिस के पास है वही लुटेगा. जहां जैसा है वही चोर आयेंगे, वहीं बदमाश आयेंगे. जिनके पास कुछ नहीं वे क्या आपको देंगे. वहां चोर जायेंगे क्यों? जाने का कोई मतलब नहीं. जहां धर्म है, धर्म की पूंजी. वहीं पर कर्म आएगा. धार वही पडेगी. इन्फोरमेशन जब मिल जाता है तो मालम है कहां रेड पडती है? किसी करोड़पति के यहां किसी के नौकर के यहां तो नहीं पड़ती. जो धार्मिक होगा, वहीं कर्म कसौटी करने आयेगा. परीक्षा सीता की हुई. किसी वेश्या की नहीं हई. कर्म ने परीक्षा नहीं ली. धार तो पड़नी ही चाहिए, वह अपनी कसौटी है. लोग कहते हैं महाराज धर्म के घर धार नहीं पड़ना चाहिए. अच्छी जगह है तभी उसकी कसौटी होती है. उसमें कभी नही घबराना चाहिए. ऐसी परिस्थिति जब आ जाये, उसमें अपने में स्थिरता रहनी चाहिए, दृढ़ता रहे. थोड़े-थोड़े व्रत नियम के अन्दर भी यदि आप प्रवेश करेगें तो पर्व की आराधना प्रकाश देने वाली बन जायेगी. कम से कम अपने जीवन की एक ऐसी सुन्दर व्यवस्था निर्माण करले कि मन में किसी प्रकार की चिन्ता या समस्या का कारण न रहे. ___आठ दिन संन्यास ले लिया जाये कि मैं झूठ नहीं बोलूंगा, परन्तु प्रतिज्ञा व्यवस्थित होनी चाहिए. ___ मफतलाल ने पर्युषण में प्रतिज्ञा ली. आठ दिन तक झूठ नहीं बोलूंगा. महाराज भी बड़े खुश हो गये. आशीर्वाद दिया. पर्युषण का तीसरा दिन था और घर में कोई आदमी आया. आवाज दी सेठ साहब हैं? आवाज से पहचान लिया कि पैसे मांगने आया है. बड़ा खतरनाक आदमी है. नहीं दिया तो और झंझट पैदा करेगा, अपनी श्राविका को बुलाया और कहा-जाकर कह दे सेठ घर पर नहीं हैं. __श्राविका ने कहा-चुल्लू भर पानी में डूब मरो. पर्युषण के दिन तुमने प्रतिज्ञा की कि आठ दिन झूठ नहीं बोलूंगा और अभी तो तीन दिन निकले हैं. अभी से तुम्हारी आदत बन जायेगी. ___ मफतलाल ने कहा तेरे से ज्यादा अकल खुदा ने मुझे दिया है क्या सोचती है? मैंने अपनी प्रतिज्ञा कहां तोड़ी हैं. मैं अपनी प्रतिज्ञा का पूरी तरह से पालन करता हूं. मैं कहां झूठ बोल रहा हूं? इसीलिए तो तेरे को बुला रहा हूं. प्रतिज्ञा कायम और काम का काम भी हो जाये. इसीलिए मैं नहीं बोल रहा परन्तु यह प्रतिज्ञा तो नहीं कि दूसरे से भी नहीं बुलाता वह तो छूट है ही. ऐसी प्रतिज्ञा आप मत लेना. आठ दिन झूठ नहीं बोलना, सत्य की उपासना करनी है, आठ दिनों विराधना से जीवन का रक्षण करना है, आठ दिन रात्रि भोजन त्याग कर देना है, आठ दिन मुझे क्रोध नहीं करना. कैसा भी निमित्त आ जाये, प्रसंग आ जाये, कर्म अपनी कसौटी के लिए आ जाये, प्रतिज्ञा में दृढ़ रहना है. कठोर परिस्थिति आ जाये फिर भी मैं रास्ता निकाल - 579 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy