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गुरुवाणी
सामग्री में यदि वह आ जाएं परन्तु आपको मालूम नहीं पड़ेगा और यदि आप उस भोजन को ग्रहण करें तो कई ऐसे विषाक्त कीटाणु आपके भोजन के अन्दर बीमारी उत्पन्न करते हैं.
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धार्मिक दृष्टि से वह हिंसा का कारण माना गया है. शारीरिक दृष्टि से आरोग्य की हानि का कारण माना गया और उसका वैज्ञानिक कारण बतलाया गया है कि यदि आप भोजन के बाद पांच- पच्चीस कदम नहीं चलेंगे तो वह भोजन आपके पेट में पड़ा रहता है. यह कार्य उस बायलर को करना पड़ता है जिसमें से एसिड उत्पन्न होकर भोजन को पचाता है. परन्तु तब तो वह एसिड उत्पन्न करता है.
परन्तु यदि आप भोजन करके ऐसे ही सीधे बैठे रहे. शाम को आप दुकान से थक कर के आएं नौ बजे आएं दस बजे आएं - भूख तो लगेगी ही, सारे दिन आपने श्रम किया है. जैसे ही आपने पेट भर के भोजन किया तो रात को दस बजे आप कहां घूमने जाएंगे? उसके बाद आप क्या श्रम करेंगे? घर में टी. वी. चल रहा है और पास में बच्चे बैठे हैं. ऐसी स्थिति में आप भी सोफासेट पर आराम ही करते हैं. वह भोजन आपके अन्दर पड़ा है.
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इस प्रकार जो काम शरीर को करना था, वह आपकी होजरी कर रही है. बड़ा श्रम पड़ रहा है, उस होजरी पर और धीरे-धीरे उसकी शक्ति कम पड़ जाती है. वह होज़री कमज़ोर हो जाती है और उसके बाद पाचन क्रिया कमज़ोर होते ही भूख बहुत कम लगेगी और सारी बीमारियों का वह कारण बनेगी. एक दिन, दो दिन चल सकता है पर रोज़ की आदत तो ख़तरनाक होगी.
भोजन का एक नशा होता है. इसमें बड़ी अल्पमात्रा में अल्कोहल होता है, तन्द्रा आती है, प्रमाद आता है. विश्राम करने की इच्छा होती है. नौ-दस बजे भोजन के बाद आप तुरन्त सो जाएंगे. भोजन के बाद पचाने के लिए जो पानी मिलना चाहिए उतनी मात्रा में पानी पेट में नहीं जाएगा. श्रम के द्वारा जो पाचन होना चाहिए. वह पाचन-क्रिया बराबरं नहीं होगी. अन्दर पड़ा हुआ वह आहार गैस उत्पन्न करेगा. और फिर वह गैस्टिक ट्रबल.
आयुर्वेद की दृष्टि 84 प्रकार की वायु हैं. अगर अलग-अलग नाड़ियों में वायु का प्रवेश होता है तो वे अलग-अलग बीमारियां उत्पन्न करती हैं, अगर वह गैस सीधी तरह से नहीं निकल पाई, नाड़ियों में और प्रवेश कर लिया तो धीरे-धीरे आगे चलकर पैरालिसिस (लकवा) करेगा. हाईपर ऐसीडिटी करेगा. कभी हेम्ब्रेज (विफलता) का कारण बनेगा. हृदय की नस में प्रवेश किया तो हार्ट अटेक लाएगा. रक्त के अन्दर प्रवेश कर गया तो रक्तचाप का रोग, ब्लड-प्रेशर उत्पन्न करेगा. इस प्रकार सारी बीमारियों का कारण बनेगा.
ज्ञान तन्तुओं में प्रवेश करेगा तो मेमोरी ( स्मरण शक्ति) कम होगी, दिल और दिमाग में तनाव पैदा होगा. शरीर में भारीपन आएगा. आप जो रात नौ-दस बजे आहार करके सो गए यह सारी बीमारी वहीं से पैदा हुई.
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