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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी पुण्य का सदुपयोग करें, दुरुपयोग कभी न करें. पुण्य भोग के अन्दर नहीं, योग में | जाना चाहिए. अगर यह समझकर के करेंगे तो वह पर्व आपके लिए आशीर्वाद बन जायेगा. आठ दिन तक रात्रि भोजन का सर्वथा त्याग. यह तो धर्म सूत्र के द्वारा ही प्रसंग चलं रहा है, आहार का परित्याग कैसे किया जाये? परित्याग की भूमिका है स्वाद पर विजय प्राप्त किया जाये. निश्चित समय पर आहार किया जाये. आहार के अन्दर से लोलुपता का त्याग हो, वासना का त्याग कर दिया जाये, आहार करने का लक्ष्य बदल दिया जाये. मोक्ष की साधना के लिए, शरीर के रक्षण के लिए, आहार किया जाये. स्वाद या विष पोषण के लिए नहीं. सात्विक परिमित आहार करे, आहार में भी ऊनोदरी करे. विगई का त्याग करें, रस का त्याग करें, द्रव्य संक्षिप्त करें. ऐसा किया हुआ आहार ही उपवास बन जाये, ऐसा आहार करने वाला व्यक्ति भी उपवासी बन जाये. श्रावण का महीना नदी में भयंकर बाढ़ आई हुई थी. दुर्वासा ऋषि महान तपस्वी थे और अपनी झोपड़ी में एकान्त बैठकर तप कर रहे थे. मथुरा का प्रसंग. वहां उनकी एक श्राविका भक्ति से रोज दुर्वासा ऋषि के दर्शन को जाती और उनके लिए आहार लेकर जाती. नित्य का नियम. वही आहार वह ग्रहण करती. निर्जीव आत्मा थी. अपने ध्यान में मस्त रही, एक वक्त आहार करती. यमुना में ऐसी बाढ़ आते समय नदी के किनारे जाकर उदासीन होकर खड़ी रही, आज मेरे गुरुदेव तपस्वी ऋषि दुर्वासा भूखे रहेंगे. मैं यह नदी पार नहीं कर सकती. न ही यहां कोई ऐसा साधन. कोई नाव जाने को तैयार नहीं. कौन जोखिम ले. मन में चिन्तित थी. क्या किया जाये? श्री कृष्ण का उधर से निकलना हुआ. जब कृष्ण ने उसके चेहरे पर उदासीनता देखी, कहा-पगली यहां आकर के क्यों खडी है? चेहरे पर उदासीनता कैसी? भगवान, क्या बतलाऊं? मेरे गुरुदेव सामने हैं. घोर तपस्वी हैं और प्रतिदिन मैं उनके लिए आहार लेकर जाती हूं. आज नदी में बाढ़ आ गई, उनको आज समय पर आहार नहीं मिलेगा, कितना कष्ट होगा? उस चिन्तन से मेरे चेहरे पर उदासीनता आई. कोई कारण नहीं. कोई साधन नहीं कि मैं नदी पार करके जा सकू महान योगेश्वर श्री कृष्ण जी ने क्या कहा-जैन परम्परा में कृष्णजी के सोलह हजार रानियां थीं एक नहीं, दो नहीं, सोलह हजार, वासुदेव थे. वासुदेव का पुण्य इतना उग्र होता है. श्री कृष्ण ने क्या कहा-तू नदी के पास जा और नदी से प्रार्थना कर अगर श्री कृष्ण ब्रह्मचारी हों तो नदी जाने का मार्ग दे दे. सोलह हजार रानी और कृष्ण का कहना कि अगर श्री कृष्ण बह्मचारी हो, तो नदी मार्ग दे दे? कैसी अटपटी बात लगती है. वह गई और कृष्ण के कहे अनुसार यमुना नदी से प्रार्थना की कि श्री कृष्ण अगर त 577 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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