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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: चिन्तन में है, दर्शन करे, उनका परिचय करे, जरूर आये. परन्तु वह परिचय ऐसा नहीं होना चाहिए उनके पतन का कारण बन जाये या उनकी साधना में बाधक बन जाये. __सेन्ट की दुकान पर आप जरूर बैठें, बिना गांठ का पैसा दिये खुशबू मुफ्त में मिलती है. सेन्ट की दुकान पर कभी गये? इत्र खरीदने. यहां साधु सन्तों का परिचय, साधुओं का सन्त समागत भी, यही चीज है. बिना पैसे इनके संयम का सुगन्ध अपने का मिलता है. उनके परिचय से अपने विचारो में, हृदय में, परिवर्तन आता है. अपने भावों में जागृति आती है. कोई पैसा नहीं देना पड़ता. इस साधना में जरा भी कष्ट नहीं करना पड़ता. कलिकाल सर्वज्ञ साधना थी. उस साधना बल के द्वारा किस प्रसंग पर उसका उपयोग करना, डाक्टर जानता है कि जहर का प्रयोग कब करना है? कैसी स्थिति में करना है? साधुओं के पास विद्यायें होती हैं, आशीर्वाद पूर्वक कई तरह की चीजें उनको मिलती हैं. उसका उपयोग कब और कैसे करना, यह विवेक उनके पास होता है. यही जानकारी यदि न रहे तो वह सारी साधना नीचे ले जाने वाली बनती है, वहां कैसे इसका उपयोग करना. इसका विवेक होना चाहिए. मफत लाल सेठ एक बहुत बड़ी फैक्टरी में नौकरी करते थे. अचानक वह फैक्टरी किसी कारण बन्द हो गई. बहुत बड़े इंजीनियर आये. बड़ी चिन्ता हुई. एक समस्या बन गई. चार पांच दिन में लाखों का घाटा हो गया. विचार किया कि विदेश से कोई इंजीनियर बुलाया जाये और मिल को वापिस चालू किया जाये. इंजीनियर को बुलाना, निश्चित हो गया. __ मफतलाल बड़ा होशियार था, बड़ा चालाक था, उसने मील मालिक से कहा-सेठ साहब! यदि आप मुझे दस हजार देते हो तो दो मिनट में मिल चला दूं. उसने कहा-कैसे? व्यक्ति है, व्यक्ति को अपनी बुद्धि का उपयोग कैसे करना है, वह विवेक तो आना चाहिए. दिल्ली के अन्दर मफतलाल ने एक बहुत बड़ी दुकान की और चार भागीदार आ गये. भागीदारों ने मिल करके निश्चय किया. बहुत अच्छा अनाज का कारोबार था परन्तु चूहे रोज आकर के उनको बहुत नुकसान पहुचाते. मफतलाल ने कहा-यार इन चूहों ने तो तंग कर रखा है. माल बिगाड़ दिया. खराब कर देते हैं क्या किया जाये? उनको दूर करने का क्या उपाय है? मफतलाल ने कहा-यार इनका एक उपाय है. एक बिल्ली पाली जाये, जब से चहे कभी नहीं आयेंगे. अपने तो भागीदार हैं. चारों के साझे में बिल्ली लेनी है और बारी बारी हरेक परिवार बिल्ली का पोषण करें, महीने में चार सप्ताह हैं, भागीदार इनको सभाल लें दूध बगैरा की व्यवस्था कर दें. चारों नक्की हो गये. अपने अपने पांव चारों ने बाट लिया. लिखित हो गया. बिल्ली ले ली. 573 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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