SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 599
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: देखें, साधु को तब आमन्त्रण मिलता है. महाराज, पधारो, जरा मंगल पाठ दो. वहां तक सेठ साहब को फुर्सत नहीं. अन्तिम समय जब खासों खास गिना जा रहा हो, डाक्टर ने मना कर दिया हो, होस्पिटल खाली करो. तब जाकर मुझे आमन्त्रण मिलता है. कि साधु को मंगल पाठ सुनाएं जीवन में जो करना था किया नहीं, जीवन के अन्तिम समय जब जाने की तैयारी आई, आग लगने के समय कहें कुंआ खोदो. तब भी साधु तो जाते हैं, दया दृष्टि से जाते हैं, न जाने कब कोई आत्मा धर्म प्राप्त करे. अन्दर से पश्चाताप कर ले, उस आत्मा के प्रति साधु पुरुष तो जायेंगे ही. जाना उनका कर्तव्य है. परन्तु स्वयं के अन्दर सावधान रहता है, इतना बड़ा सम्राट् कुमार पाल चार-चार महीना का नियम. मुझे पालन नगरी से बाहर पांव नहीं रखना है. मौका मिल गया. सुलतान राजा का राज्य चलता था, दिल्ली में उसे यह समाचार जासूसों के द्वारा दिया गया कि यह गुजराज पर आक्रमण करने का यह मौका बड़ा अच्छा है. __ कुमार पाल कट्टर श्रावक हैं. जरा भी विचलित होने वाला नहीं. सारा राज्य चला जाये तो भी उसको कोई परवाह नहीं. धर्म में, धार्मिक क्रियाओं के अन्दर, आप जितना दृढ़ बनेंगे, अपने विचारों में उतनी ही शक्तियों का विकास होगा. आप के देवता धर्म की शक्तियों के विकास का एक साधन है. हमारे अन्दर दृढ़ता का अभाव, विचारों में दृढ़ता नहीं है. कहां से धर्म हमारे लिए आशीर्वाद बनेगा? किया तो ठीक है. मौका मिला, भाव आ गया तो कर लिया. उसमें तो उत्साह होना चाहिए. पर्व के आगमन पर कैसा उत्साह होना चाहिए? पर्युषण जैसा महान पर्व, पर्वो का सम्राट, इसके आगमन पर हमारी प्रसन्नता कैसी. मालूम हो जाये आप का चेहरा देखकर के किसी परममित्र का आगमन हो रहा है, महान खुशी का कोई प्रसंग आ रहा है. ऐसे प्रसंगों पर आप जितना अपने विचारों पर दृढ रहेंगे, याद रखिए, साधना मजबूत और गहराई में जायेगी. साधना का मापदन्ड लम्बाई, गोलाई से नहीं होता उसकी गहराई से होता है. कितना लम्बा चौड़ा आपने तप किया, उससे मुझे कुछ मतलब नहीं, आपने कितना लम्बा चौड़ा कार्य किया? उसका कोई मूल्य नहीं, उसमें, कार्य में, साधना में, आपकी गहराई कितनी है? तो जितना गहरा होगा, उतना ही मजबूत होगा. आपने गुरुद्वारों को देखा? ये बलिदान के प्रतीक हैं. गुरु गोबिन्द सिंह जी के जवान पुत्रों ने धर्म के लिए प्राण दे दिये. दाढी मूंछ भी नहीं निकली थी. अभी तो सूर्योदय हुआ और उदय के तुरन्त बाद अस्त हो गया. कैसा प्रलोभन दिया गया, इतने बड़े राज्य का प्रलोभन, दहेज में देने का, शहजादी के साथ शादी कर दूं कश्मीर का राज तुमको दे दूं. परन्तु उन दोनों जवान पुत्रों ने क्या कहा? उनका स्वाभिमान और गर्जना कैसी? बोलने वाले व्यक्ति के मुंह पर थूक दिया कि खबरदार तुमने जो बोला है. जिन्दे दीवार में चुन दिये गये तो भी उनके चेहरे के अन्दर जरा भी चिन्ता नहीं. मालूम पड़ गया कि ap 570 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy