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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी - लड़का नया नया सीखा था, लड़के ने सी डाला. शाम के समय दुकान से आये मफतलाल ने कहा मेरा पायजामा? कहा-सी दिया है. तैयार था, पकड़ा दिया. बेचारे गए. घर पर नहा धोकर सोचा कि पायजामा पहनूं, पायजामा पांव से भी चार अंगुल लम्बा. मन में विचार करने लग गये, दुकान जाऊं तो दुकान बन्द और सुबह छ: बजे तो लखनऊ जाना है. और पायजामा अगर ऐसे ही पहनूं तो बड़ा बेहूदा दिखता है. उससे बूट भी जाये पांव भी ढक जाये और जमीन में बिना पैसा का झाडूं भी लग जाये इतना लम्बा. घरवाली से कहा-कम से कम तू मेरा पायजामा तो सी दे. घर में संस्कार का अभाव. घरवाली ने कहा सारे दिन मजदूरी करूं. रात को भी आराम नहीं. कैसा घर मिला हैं? चूल्हा झाडू करूं, बच्चों को तैयार करूं, रात को कहता है मेरा पायजामा फाड़ कर के सी. मेरे से नहीं होता. मफतलाल चुप रह गये. बड़ी बच्ची थी, उससे कहा-बेटी चार अंगुल फाडके मेरा पायजामा सी दे. अजी आपको मालूम नहीं? कल से मेरी परीक्षा शुरू हो रही है. मैं अपनी स्टडी करूं या आपका पायजामा सीती फिरूं? दूसरे बच्चे को उठाया उसने कहा मुझे नींद आती है. मुझे नहीं सीना है तीन चार बच्चों ने एक साथ जवाब दे दिया. संस्कार के अभाव में यही परिणाम आयेगा. मफतलाल बेचारे रूम बन्दकर के बैठ गये और सोचा सुबह छ: बजे जाना है. चार अंगुल माप करके अपने हाथ से ही काटा. धीमे-उसे सी कर के लटका दिया. मफतलाल तो सो गये, घरवाली रात के बारह बजे जागी. सोचा पति तो मेरे ही हैं, बेहज्जती तो मेरे घर की ही होगी और इतना ध्यान भी न रखना तो गलत बात है उसने पायजामा लिया, चार अंगुल फांडा, सीया और धर दिया. रात को तीन बजे बच्ची पढ़ने के लिए उठी, सोचा पिता तो मेरे हैं, शादी में जायेंगे, फजीता तो मेरे बाप का होगा. उसने भी चार अंगुल फाड़ा और सीकर रख दिया. तीनों चारों बच्चों ने सब काम कर दिया. पूरी आज्ञा का पालन किया. सुबह बेचारे मफतलाल उठे स्नान करके आये तो वह पायजामा अन्डर वीयर बन गया था. मेरा कहना कि जो आत्मा धर्म संस्कार से शून्य होगी तो यह परिणाम आयेगा. संस्कार तो माताओं की देन है कि बच्चे की दिनचर्या कैसी है? उसके मित्र कैसे हैं? ये सब कुछ ध्यान रखने की उनकी नैतिक जवाबदारी है. कल इस पर विचार करेंगे. आहार के अन्दर तो बहुत रहस्य छिपा है. पर्युषण-पर्व पर भी कल परिचय प्राप्त करेंगे. पर्युषण की आराधना कैसी करनी? वह भी समझायेंगे. "सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् प्रधानं सर्वधर्माणां जैन जयति शासनम्" 563 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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