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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी में शारीरिक विकार का कारण है. उनकी आहार की पद्धति अलग है आहार का तरीका अलग है. हमारे यहां की पद्धति और परम्परा अलग है. ___आज समय हो चुका. कल इस विषय में बहुत सुन्दर तरीके से समझाऊंगा पर्युषण पर्व ताकि पर्युषण के आठ दिन प्रसन्नता से व्यतीत हों. आठ दिन कम से कम माता एवं बहनों से यह इच्छा रखता हूं कि लोलुपता का त्याग करें. ___ माताओं का संस्कार परिवार पर पड़ता है. आपका निर्माण माताओं के द्वारा होता है. हेम चन्द्रसूरि, विजयहीर सूरि ये सब महापुरुष कहां से पैदा हुए? माताओं के संस्कार से. हम लोगों में ये भाव कहां से आया? माताओं के कारण, मन्दिर नहीं गये तो पूछते तिलक लगा कर नहीं आये? चाय याद आई, भगवान याद नहीं आये. शर्म से मुंह नीचा किये जाता है. आज पूछने वाले हैं. कोई सुबह शाम यदि माताओं-पिताओं को नमस्कार नहीं किया तो घर में पूछने वाले होते क्यों भाई नमस्कार नहीं किया? जंगली हो, इतना कहना हमारे लिए मरण हो जाता. ___ घर में बड़ों को नमस्कार करना, अपना विनय कभी नहीं छोड़ना. यह अपनी कुलीनता अपनी खानदानी है, महाजन कौम की एक विशेषता है कि उनके अन्दर नजर आना चाहिए. ये सारे संस्कार देने वाली माताएं हैं. उनकी प्रेरणा से ये चीजें आती हैं. अगर माताएं उपेक्षा करेंगी तो बालक आगे चलकर क्या बनेंगे? हालात क्या होगी? अगर बालक में संस्कार नहीं दिया तो हालात बिगड जायेंगे. सेठ मफतलाल लखनऊ बारात में जा रहे थे, दिल्ली से जाना था. नवाबों का जमाना. मफतलाल बाल्यकाल से ही खेलने कूदने में रहे. घर के संस्कार मिले नहीं. बड़े हुए तो कमाने में रहे. घर में ऐसी समस्या हई, मफतलाल के बाल बच्चे तो थे. बडे में संस्कार का अभाव तो बच्चों में कहां से संस्कार आये? लखनऊ शादी में जाना जरूरी था. मन में सोचा बारात में जाना तो जरा नवाबी ठाठ से जाना. जरा शान शौकत से जाना. घर में पहनने को कपड़े नहीं. देखा कि कुर्ता तो है पायजामा नहीं है. पायजामा भी नया होना चाहिए. ऐसा नहीं ऊपर से पूर्णिमा और नीचे से अमावस. पायजामा पुराना फटा हुआ और ऊपर एक दम नया कुर्ता. बेचारे बड़ी मुश्किल से बाजार से कपड़ा लेकर दर्जी के पास गये. दर्जी काम में इतने व्यस्त, कहा-मफतलाल और सब हो सकता है मगर यह बात मत करो. हमारे पास इतना समय नहीं कि तुम्हारा पायजामा सीएं. बहुत आर्डर आया हुआ पड़ा है. पड़ोस में एक दर्जी मिल गया. कहा-जो मांगेगा उससे एक रुपया ज्यादा दूंगा. आज रात की गाड़ी से बारात में जाना है, घन्टे भर में पायजामा सीदे. दर्जी के यहां भी इतना काम. माप लिया और लड़कों को सीने के लिए दिया. T 562 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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