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-गुरुवाणी
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जिसे तू काटता है, वह थोड़े ही देखता है. देखने वाला तो अन्दर बैठा है. तू क्या तेरा बाप भी नहीं काट सकता. समझ गया?" तलवार अन्दर चली गयी. सिकन्दर विचार में पड़ गया, बड़ी गजब की बात कह दी.
तू जिसे काटता है, वह नहीं देखता और जिसे तू काट ही नहीं सकता वह अन्तरात्मा तो मेरे अन्दर है, वह देखेगी कि तू कैसे काटता है. साधु ने दार्शनिक दृष्टि से बड़ी दार्शनिक बात उसे समझा दी और उसकी तलवार अन्दर चली गयी. __ वह झुक कर के बैठ गया, “भगवन् मैं आपका गुलाम हूं, बतलाइए. मुझे स्पष्टीकरण दीजिए, मैं गुलाम कैसे हूं? __ "बड़ी सीधी सी बात है - ये सारी इन्द्रिया मेरी नौकर हैं. आँख से न देखने की स्थिति में वे बन्द हो कर के ध्यानस्थ हो जाती हैं. कान को परनिन्दा नहीं सुनने की स्थिति में कान बन्द हो जाते हैं, जीभ को आदेश देता हूं, यह वस्तु नहीं खाना, वह बेचारी मौन हो जाती है. सब इन्द्रियां एकदम मेरे बस में हैं. ये सब मेरे नौकर और गलाम हैं और तू इन्द्रियों का गुलाम है." ___“आंख ने कहा मुझे नाच देखना है तो पूरी रात चली जाती है. कान ने कहा महफिल में जाकर के संगीत सुनना है तो पूरी रात गुलाम बन कर तू उसकी सेवा में जागता है. जीभ ने कहा मुझे यह खाना है तो तू उसकी सेवा में प्रवृत्त हो जाता है. हर इन्द्रिय का तू दास है. हर इन्द्रिय का तू गुलाम है. मैं इन्द्रियों का स्वामी और मालिक हूं इस बात का मुझे गर्व है और तू गुलाम होकर मेरे जैसे सम्राट को डराने आया और वह भी तलवार लेकर. तेरी क्या ताकत कि तू मुझे मार सकेगा?"
सिकन्दर भी समझ गया, वह चरणों में गिर गया “भगवन्! आज मेरी आंख खुल गई"
इसीलिए मैंने कहा कि आत्म-चिन्तन किए बिना, स्वाध्याय किए बिना तुमको अपने स्वयं का परिचय नहीं मिलेगा. आप जगत् का परिचय जानते हैं, परन्तु स्वयं का कोई परिचय नहीं. __आज तक बहुत प्रवचन आपने सुने होंगे. बहुत साधु-सन्तों के परिचय में आप आए होंगे और मैं पूंछु कि आपकी आत्मा का शत्रु कौन है? आप क्या जवाब देंगे? ___ जिन्दगी निकल गई पैसा उपार्जन करने में और जब जरूरत पड़ी तो आपको परमेश्वर याद आता है, जब आपकी तिजोरी खाली हुई या शरीर में किसी रोग का आक्रमण हुआ तब आप परमेश्वर को स्मरण करते हैं. वह भी स्वार्थवश याद किया गया कि भगवन अब तू ही बचा
"त्वमेव शरणं" इससे पहले कभी आपने परमेश्वर को याद किया या कभी आत्म-दशा का चिन्तन किया कि कल मुझे जाना है और जो मेरी वस्तु है मेरा लक्ष्य होना चाहिए. आप प्रवृत्ति
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