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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir -गुरुवाणी पड़ती है. उनके मरते समय उनके दर्द को देखिए. उनकी आंखों को देखिए. उन पशुओं का माँस खाकर यदि प्रसन्नता मनाएं, तो ये नहीं सोचते कि यह उसकी मौत नहीं, यह मेरी ही मौत है. संस्कृत के अन्दर माँस शब्द को यदि विपरीत करें तो "समा” मांस शब्द है यदि इसे विपरीत करें "समां" जिसे मैं खा रहा हूँ तो कल मझे खाने वाला बनेगा. यह प्रकति का नियम है. दुनिया के हरेक धर्म ग्रन्थों में यह निर्देश दिया गया. बाइबल जैसे ग्रंथ में भी लार्ड क्राइस्ट ने अपनी दयालुता का परिचय दिया. मुसलमानों के धर्म ग्रन्थों में भी खुदा ने कहा सारी प्रकृति की रचना मैंने की है. वृक्ष भी मैंने बनाए है पशु, पक्षी भी मेरी रचना है. इसे नाश करने का किसी को कोई अधिकार नहीं. परमात्मा की रचना को नष्ट करना आपका अधिकार नहीं. इसके लिए जब हज करने को मुसलमान जाते हैं तो वनस्पति के वृक्ष को भी हाथ नहीं लगाते. दातून करने के लिए दातून भी नहीं तोड़ते. यह उनका नियम होता है. दुनिया के हरेक धर्म ग्रन्थ को आप देखिए, आपको हर जगह यह उल्लेख मिलेगा. अहिंसा का जहां भी विषय आएगा, उसके अन्दर करुणा को लेकर ये निर्देश दिया गया कि पशु पक्षियों पर भी तुम दया करना. ये भी दया के पात्र हैं आपके आश्रित है. पशुओं के पास सिवाय रुदन के और कुछ नहीं है. अपने दर्द को बोलने के लिए शब्द भी नहीं, कुदरत की इतनी बड़ी सजा उनको मिली है. ___आहार की मर्यादा में यह विशेष ध्यान रखना चाहिये कि जिस किसी वस्तु में पदार्थ में एनीमल्स फूडस हो, तो कभी प्रयोग नहीं करना. बाहर के बिस्कुट होते हैं, मछली का आरा रहता है. टानिकों के नाम पर कई दवाओं में कोडलीवर आयल आता है. कई ऐसी दवाइयां हैं जो पशु जन्य है, उनके अंग उपांग से वह दवा निर्मित होती है. डाक्टर से पूछ करके लें, उसके विकल्प में दूसरी दवा मिलती है. ___ हम लोग भी दवा लेते हैं परन्तु पूछ लेते हैं, अगर डाक्टर ने कह दिया कि इसमें दोष की संभावना है, उसे छोड़ देते हैं. पूछते हैं इसके विकल्प की कोई दूसरी दवा है? बहत सारी दवा है बतलाएंगे कि इसकी जगह यह दवा लीजिए. यह जरूरी नहीं कि एक ही दवा काम आएगी. हमारे जीवन में हरेक क्षेत्र में आज हिंसा को आश्रय दे रहे है, वह गलत है. सौंदर्य के जितने भी साधन हैं, ये सब किस तरह से बनाए जाते हैं. कितनी हिंसा होती है. पशुओं के साथ ऐसा भयकर क्रूर व्यवहार किया जाता है. कि हम देख नहीं सकते. यदि एक बार आप देख लें तो आप का हृदय पिघल जाएगा. बिना प्रवचन के आप प्रतिज्ञा कर लेंगे कि जीवन में कभी इनका उपयोग नहीं करना. ऐसी क्ररता से उसका निर्माण किया जाता है. ali 553 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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