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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी - में उपयोग की जागृति हो तो विचार करेगा कि, मुझे क्या चीज़ लेना, क्या ग्रहण करना? किस प्रकार विवेक से लेना? यदि विवेक का अभाव रहा तो मुश्किल है. ज्यादातर आप हास्पिटल में रोगी को देखेंगे. किस प्रकार के रोगी हैं. वे स्वाद के लिए खाते हैं. जो चीज़ आप तलकर के खायेंगे, याद रखिये वह विकार उत्पन्न करती है. शारीरिक व्याधि को जन्म देती है. इसमें कोई स्वाद नहीं रहता. बिना स्वाद के आप चाहे भजिया खायें, पुडी खायें कचौरी खायें, मुझे आप के खाने से ईर्ष्या नहीं. आचार्य भगवन्त को भी ऐसे द्वेष नहीं. कोई तिरस्कार नहीं. उन्होंने तो सात्विक आहार का परिचय दिया कि आहार कैसा हो. दाल रोटी खा कर जीवन निकाल दे. कभी नुकसान नहीं करेगा. पूर्ण सात्विक है, आपके पेट को स्वीकार है, शरीर उसे स्वीकार कर लेता है. उसमें से रस ग्रहण करके आपको पोषण देता है परन्तु यदि आप स्वाद के लिए खायेंगे? स्वाद के. पोषण की वस्तु तली हुई चीजों से पोषण करेंगे तो वह शरीर को बहुत जबरदस्त हानि पहुंचायेगी. वह स्वीकार नहीं. बड़ी खतरनाक चीज़ है परन्तु आदत रोज तली हुई चीजों की चाहिए. यह पेट में गैस पैदा करेगा. एसिडिटी होगा, मन्दाग्नि पैदा होगी. गैस पैदा करेगा, ज्यादा मात्रा में खटास या मसाला लिया स्वाद देगा. मगर स्वाद ब्याज सहित वह सब शरीर से वसूल कर लेगा. ऐसे स्वाद पूर्ण आहार को मुझे नहीं करना. आजकल एक मोडर्न फैशन निकला है. बहुत जबरदस्त उसका प्रचार किया जा रहा है, शरीर कमजोर हो जाता है. संयोग का अभाव प्रचार किया जाता है कि तुम अंडे खाओ, शक्ति मिलेगी. प्रोटीन मिलेगा. मैं कहता हूं उससे तो रोग को आमन्त्रण मिलेगा. उसमें ऐसे जहरीले तत्व होते हैं कि आज के डाक्टरों का अभिप्राय है, विदेश के डाक्टरों का अभिप्राय है, वे सोच कर निर्णय पर आये कि उसमें ऐसे विषैले और जहर वाले तत्व हैं जो हार्ट अटैक उत्पन्न करते हैं एक बार कदाचित् उत्तेजना दे जायें. तामसिक वस्तुओं में उत्तेजना जरूर होगी. क्षणिक उत्तेजना होगी. परन्तु वह उत्तेजना खत्म होकर आपके लिए मौत लेकर आयेगी. वह हार्ट अटैक उत्पन्न करेगी, इसके अन्दर में एक खासियत है, मांसाहार करना. घर में जो भोजन बनेगा, उसमें स्वाद मिलेगा, शक्ति मिलेगी, टोनिक मिलेगा, वह बाहर होटल के भोजन में नहीं मिलेगा. आप भूल गये हमारे हाथी के अन्दर कितनी बड़ी शक्ति है. शाकाहारी हैं, पूर्ण सात्विक हैं, गजब ताकत है. हाथी के अन्दर जो शेर के अन्दर नहीं, सिह के अन्दर नहीं. सिंह मांसाहारी है, उतेजना है, क्षणिक आवेश है परन्तु इसके अन्दर शक्ति का अभाव है. शक्ति मिलेगी आपको हाथी में. वह सात्विक शक्ति है आपने देखा रेस के अन्दर घोड़े दौड़ते हैं. वह शक्ति कहां से आई? उस गति में चेतना कहां से आई? कैसी प्रचन्ड शक्ति हाथी है. घोडे में एक समान शक्ति होती है बड़ी द्रत गति होती है जरा भी थकावट 550 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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