________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी फिर आपके सामने. वह कीटाणु चर्म या वायरस जो भी हैं आहार के साथ पेट में गये. यदि आप में प्रतिकार शक्ति नही है, स्टेमिना नहीं है, तो वह तुरन्त आप पर अटैक करेगा रोग का आक्रमण शुरू हो जायेगा. कई ऐसी छत की बीमारियां हैं जिनसे बचना बहुत मुश्किल है. शारीरिक शक्ति से यदि हम कमजोर हैं तो उसका आक्रमण जरूर होगा. इस तरह से सारी बीमारियां फैलती हैं. होटलों में आहार भी इतना अशुद्ध बनता है, रात को बनाया, दिन में बनाया, कैसे बनाया, किस प्रकार बना? वह तो आकर्षक ढंग से आता है, इसलिए कमियां नजर नहीं आती. ___मैं अहमदाबाद में था. पास ही एक होटल था. बहुत सुन्दर मिठाई बनाया करते हैं. सुबह ही गाड़ियों की लाइन लग जाया करती है. लोग वहीं से ले जाना पसन्द करते हैं. दशहरे का मौका था, जलेबी वगैरह बनाने को पूरे रात होटल चालू रहते, जो बनाने की सामग्री भी वह उपाश्रय के एकदम पीछे थी, नजर डाले सब दिखे. रात को दो बजे बर्तनों की आवाज से नींद खुली मैंने सोचा अब क्या हो रहा है? झांककर देखा तो जलेबी बना रहे थे. खुशबू आ रही थी और वे पांव से आटा मथ रहे थे. पानी शौचालय से ला रहे थे और वहां पानी नहीं था. वही पानी उसमें डाला. मैंने सोचा, यही पवित्र वस्तु सुबह लोगों के पेट में जायेगी और लोग दशहरा मनायेंगे. बचपन में मैं अपने मित्र के साथ घूमने गया, बाहर से आये हुये थे. घरवालों ने कहा - जरा घुमा कर ले आओ. मैं घुमाने के लिए ले गया, कलकत्ता तो बड़ा शहर है. उन्होंने कहा - दो बज गये हैं, भूख लग गई. कहीं नाश्ता कर लें. ____ मैं उनको नाश्ता करवाने ले गया. मेहमान बडे सज्जन और बड़े उदार थे. उन्होंने कहा- अच्छे होटल में मुझे ले जाना. मैं उन्हें अच्छे होटल में ले गया, जहां गर्म-गर्म समोसा कचौरी बनती थी. वहां ले गया. सामने बैठ गया, आर्डर दे दिया. मेरी दृष्टि वहां पड़ गई, जहां वह बनाया जा रहा था, वह कचौरी बना रहा था, बड़ी उत्सुकता से मैं देख रहा था. बनाने वाले व्यक्ति को सर्दी लगी हुई थी, अन्दर गर्मी, पसीना सारा उसी में टपक रहा था. कचौरी का मसाला जहां तैयार किया जा रहा था, उसी में उसका पसीना टपक रहा था. मैंने कहा - यह बड़े गजब की बात है. मैं वहां तक तो मौन रहा. मन में विचार पैदा हुआ कि यही कचौरी अपनी डिश में आयेगी. संयोग देखिये, उसे सर्दी तो लग रही थी, सर्दी का गर्मी का असर था. उसे बड़े जोर से छींक आई और सारा विटामिन भी उसी में गिरा. मैंने कहा-बड़ा गजब हो गया. आए हुए अतिथि से मैंने कहा - मुझे नाश्ता नहीं करना, मैं तो बाहर जा रहा हूं, क्यों क्या हुआ? Joad SA FAMIR 548 For Private And Personal Use Only