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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी बहुत पेट भर के मैंने भोजन किया. मेरे भोजन में कोई कमी नही रखी परन्तु अब तो पेट में जाता ही नहीं, क्या करूं? __ बेटा! मेरी बात ध्यान में रखना. आने वाले जीवन में कहीं तुझे मनुष्य जीवन मिल जाये परन्तु यह आहार मिलना बहुत दुष्कर है. यह लाभ छोड़ने जैसा नहीं जितना तू खा सकता है, खा. हमारे यहां पर भी यही आदत है. प्राणम अति दुर्लभम. मफत लाल मिले तो डबल डोज मारो. काहे को छोड़ना. पेट मना करता हो और जीभ स्वीकार करे तो ले लेना. जितनी अधिक संख्या में आज होटल बने, स्वाद पोषण की सामग्री जितनी बढ़ी, उसी अनुपात में होस्पिटल बढाये गये. फिर भी आज कहते हैं होस्पिटल कम हैं रोगी ज्यादा हैं. बीमारी का कारण क्या है? आहार का विवेक हमारे अन्दर नहीं रहा. संसार के अन्दर अस्सी प्रतिशत व्यक्ति खा कर मरते हैं, दस प्रतिशत व्यक्ति अपनी मौत से मरते हैं, पांच प्रतिशत बीमारियों से मरते हैं और दो या तीन प्रतिशत व्यक्ति दुर्घटना में मरते हैं, अकाल मृत्यु से मरते हैं परन्तु अस्सी प्रतिशत व्यक्ति खा कर मरते हैं. उन्हें खाना नहीं आता. ज्ञानियों ने कहा - पहले केवल दर्शन आना चाहिए फिर केवल ज्ञान आता है, जहां तक आहार का विवेक नहीं होगा. वहां तक वह आत्मा संयमी नहीं बन पायेगी. हमारे यहा पैतालीस आगम है, उसमें कई आगमों में मात्र आहार के विषय में लिखा है. साधू आहार किस प्रकार करें? किस तरह की उसकी मर्यादा हो? किस प्रकार की मनोवृत्ति से उसका उपयोग करें? वे सारे लक्षण उसके अन्दर बतलाये गये. गृहस्थ जीवन में भी आहार की मर्यादा बतलाई, गई परन्तु मर्यादा का पालन होता नहीं. स्वाद लेना है, रास्ते चलते व्यक्तियों को देखिये, पड़े हैं मिला. वो खा रहे हैं वह कैसी चीज है ? देखकर भी आंख के अन्दर घृणा पैदा होती है. मक्खियां फिरती हैं. मच्छर बैठे हों, दुनिया भर की गंदगी उसमें हो, हाथ गन्दे हों, सड़क की धूल उड़ती हो, उसके बाद वे व्यक्ति उसी खुमचे से बड़े स्वाद से आहार कर रहे हैं. बिना पैसे की बीमारी मोल ले रहे हैं. उन्हें नहीं मालम यह आहार मेरे पेट में कैसी बीमारी पैदा करेगा. रोग उत्पन्न करेगा. इसीलिए आज के व्यक्ति ज्यादातर होटल से होस्पिटल जाते हैं. घर से निकलेंगे होटल, उसके बाद होस्पिटल, होस्पिटल के बाद अंतिम यात्रा. आप जानते ही हैं. इन सारी बीमारियों को जन्म देने वाले हैं. होटल में आप जाइये, क्या - क्या मिलेगा? कितने प्रकार की बीमारियां वहां फैलती हैं सारी छूत की बीमारियों का कारण होटल है. कितने व्यक्ति भोजन करके जाते हैं, उनके जो वायरस किटाणु होते हैं, वह प्लेट में रहते हैं, वह इतना खतरनाक हैं जो बिना उबले पानी के खत्म नहीं होते. आपने देखा होगा वहां एक बाल्टी रहती है, सब कप प्लेट उसमें डाले जाते हैं, सबका मिश्रण हो जायेगा, सैकडों प्लेट उसमे पड़ी रहती है, पानी में डाला, निकाला, साफ किया 8 BAAR 547 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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