________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गुरुवाणी: भगवन्! ऐसे आरोग्य की प्राप्ति हो, जिससे मैं अपने जीवन की बडी सुन्दर साधना कर पाऊं, धर्म मार्ग पर चल करके जीवन की पूर्णता को प्राप्त करूं. बीमारी का कारण इसके अन्दर पहले स्पष्ट कर दिया. भोजन यदि आपका खाया हुआ हो, उस समय पर यदि आहार करते हैं तो आहार विकार उत्पन्न करेगा. शरीर कभी उसे स्वीकार नहीं करेगा. पेट को कचरा पेटी न बनाएं. यह गोदाम नहीं है, यह वायलर है, इसकी सफाई का ध्यान रखें, इसकी हिफाजत रखें, इसे विश्राम देने का प्रयास करें. उपवास इसके लिए विश्राम है, शरीर को आरोग्य देने वाला है, शरीर के विकार का नाश करने वाला है. आत्म साधना के अन्दर आपके विचारों को दृढ करने वाला उपवास है. इसीलिए उसे आयुर्वेद में औषधि के रूप में स्वीकार किया है. "लंघनं पथ्यमौषधम्" लंघन को आयुर्वेद ने औषध माना है. बिना पैसे की दवाई है. उपवास हमें करना नहीं, आहार करके आरोग्य को प्राप्त करना है. इसके अन्दर मार्ग दर्शन दिया कि आहार भी इस प्रकार का हो जो औषधि का रूप हो. आहार भी मर्यादा में किया जाये आहार करने की सारी प्रक्रिया बतलाई. रोग का जन्म वहीं से होता है. जब व्यक्ति में भूख न हो और फिर यदि आहार किया जाये. __ पशुओं के अन्दर भी आहार की मर्यादा होती है. कुत्ता यदि रोटी खा ले. पेट भर जाये फिर यदि रोटी डाले तो सूंघकर के छोड़ देगा, खायेगा नहीं. एक सामान्य निकृष्ट प्राणी में भी आहार का विवेक है. वह जानता है मेरा पेट मना करता है, मुझे नहीं खाना चाहिए. परन्तु इन्सान को इतना भी विवेक नहीं रहा, घर से आप निकले हों, पूर्ण रूप से आहार करके चले हों, रस्ते में चलते हुए भी यदि कोई मित्र मिल जाए, आग्रह करें, कि आज मेरी दुकान के उद्घाटन में जरा आओ. शिष्टाचार से आप दुकान पर जाएं. वहां यदि आग्रह करे कि गर्म-गर्म समोसा, गुलाब जामुन है, थोड़ा लाभ दो. आप आहार करेंगे या नहीं? मर्यादा से विपरीत उस समय हमारा आचरण हो जायेगा. पान थूक देंगे, कुल्ला कर. पानी पीकर अल्पाहार तो देंगे. __ परान्नं अति दुर्लभम् मफतलाल जैसे भोजन कराने वाले मिल जायें, तो पूछना ही क्या? सेठ मफतलाल ने मथुरा के चौबेणी को औपचारिक आमन्त्रण दिया। दूसरे दिन चौबेजी आये, उन्होंने कहा - मेरा पेट नहीं, यह स्वर्ग का लैटर बाक्स है. यहां तो डाले जा तुझे सब वहां मिल जायेगा. बहुत सुन्दर भोजन करवाया चौबेजी का लड़का भी साथ में था. लड़का नया-नया था. लड़के को भी बहुत अच्छी तरह खिलाया गया. भोजन करने के बाद लड़का अपने बाप से कहता है - पिता जी आपने कहा - उस आदेश का मैने पूरा पालन किया. 546 For Private And Personal Use Only