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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गुरुवाणी नहीं चलेगी. अढाई अढाई इन्च की पटरी की सीमा स्वीकार करके ही गाडी में गति आती है और दौड़कर लक्ष्य तक जाती है. जीवन गतिमय चेतना है. मोक्ष मार्ग तक इसकी यात्रा हमको पूर्ण करनी है. लक्ष्य की प्राप्ति तभी संभव होगी, जब परमात्मा की आज्ञा को हम यम नियम की सीमा द्वारा स्वीकार करें. आचार विचार द्वारा उसका पालन करें. आचार विचार दो पटरी हैं. यम, नियम पटरी जैसे हैं. उसे स्वीकार करके यदि हम चलते हैं तब तो इस चेतना में गति आयेगी. यह गति, सदगति तक पहुंचाएगी. यदि उसका उल्लघन करें तो कुछ नहीं मिलेगा. यह बन्धन नहीं व्यवस्था है. कुंआ के अन्दर पानी खींचने जाएं और यदि उसमें पाल न बंधी हो तो वह दुर्घटना का कारण बन सकती है. पांव फिसल जाए, मिट्टी गिर जाए. कुंआ में मजबूत सिमेन्ट और पत्थर की पाल बांध देते हैं ताकि कभी दुर्घटना की संभावना न रहे. इस मन के पाताल कुंआ के विचारों से न जाने कितनी बार हमारा पतन हो जाए. यम नियम द्वारा हम पाल बांध देते हैं ताकि कभी ऐसी दुर्घटना न हो कि मन के पाताल कएं में गिर जाए, जिससे आत्मा का पतन हो. यम, नियम तो पाल बांधने जैसी क्रिया है, आप घर में रहते हैं आपको मालूम है? कभी घर में बिजली का तार खुला रखा जाता है, कभी रखा है? रखने में कोई आपत्ति नहीं, करंट तो आएगा. परन्तु आप जानते हैं कि जान को खतरा है, यह कभी-कभी मौत को पुकार करके लाएगा, क्या करते हैं. वायर को कवर कर दिया जाता है.. कवर करके भी उसको पाइप में डालते हैं, कभी भूल से भी हाथ न लग जाए. मन के अन्दर भी बिजली है, इसमें पावर फल है, यह जड़ है और ये आत्मा के साथ चैतन्य बन करके सक्रिय है. मन के विचार परमाणु सक्रिय बनते है. बहुत लम्बी दौड़ है, अब बिजली की गति प्रति सैकिन्ड एक लाख छियासी हजार माइल गति करती है. परन्तु मन की उससे भी तीव्र गति है. आंख बन्द करिए बम्बई कलकता सब दिखेंगे. भूत, भावी, वर्तमान सब दिखता है. बाप मर गये, दादा मर गए, सारी घटनाएं दिखती हैं, सारा भूतकाल नजर आता है. भविष्य की कल्पनाएं नजर आती हैं, वर्तमान नजर आता है मन के अन्दर. यह गजब की शक्ति है. वह शक्ति बिजली में भी नही है. इस मन में जिस दिन एकाग्रता आ जाए, आत्मा के अनुकूल उसका प्रयोग हो जाए, एक क्षण में मोक्ष को जन्म देती है. मन की एकाग्रता में यह चमत्कार है. मन कभी खुला नहीं रखा जाता. वह बड़ा खतरनाक है. दुर्गति मे पहुंचा दे. वायर की तरह यम नियम को कबर चढा देते हैं. जिस दिन मन के वायर पर कवर चढा दिया, मन सुरक्षित हो गया. फिर कभी दुर्गति का कारण नही बनता. यम नियम की मर्यादा में रहेगा. घर में तो बिजली वायर पर कवर चढा देते हैं. पाइप में डाल देते हैं. जरा मन के वायर को भी कवर चढाइये, कभी आत्मा 541 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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