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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी क्या-क्या बात है? आज गांव में लोग ऐसी बात कर रहे थे कि आनन्द घन जी महाराज के यहां लड़की का नाच हो रहा था उस समय वे भी खड़े नृत्य देख रहे थे. क्या बात यह सच है? आनन्दघन जी ने कहा-इसमें चिन्ता की क्या बात है. मैं गया था. मेरे जाने का आशय अलग था, याद रखिए, गुरु जो कहे वह करना, गुरु जो करे वो करने का नहीं होता. उनके करने के पीछे उनका आशय अलग होता है. गीतार्थ पुरुषों की कभी नकल नहीं होती. उनके आदेश का पालन होता है. मैं क्या करता हूं. कैसी परिस्थिति में करता हूं किस कारण करता हूं इसे जाने बिना यदि नकल करोगे तो अनर्थ हो जाएगा. दूसरे दिन प्रवचन में गांव के सारे लोग आए, आनन्दघन की महाराज वहां बैठे थे. उन्होंने कहा-मै इस गांव में आया, जब जंगल से लौट रहा था तो अचानक मेरे कान मे आवाज आई, नरक नरक. मैने सोचा मृत्युलोक में नरक की आवाज कैसे आई? क्योंकि नाचने वाली नाच रही थी, तबले बज रहे थे. तबले से यह ध्वनि निकली तमाचा पडता है तो तबले में से नरक नरक ऐसी ध्वनि प्रकट हो रही थी. मै चल कर गया जहां से आवाज आ रही थी-नरक, नरक, नरक. जाकर देखा यह मृत्युलोक का नरक है, यहीं पर वासना की पूर्ति हो रही है. नाचने वाली का नाच को देखने के लिए कैसे-कैसे व्यक्ति यहां उपस्थित हैं तिलक लगाकर पूजन करके आने वाले महानुभाव. मैं गया कि मेरे कौन कौन से साथी वहां पर हैं.? यह देखने गया. नरक नरक की आवाज आ रही है फिर भी लोग वहां पर गए, तबला अपनी आवाज से नरक नरक प्रकट कर रहा था. ___पास में ही सारंगी बजाई जा रही थी, उससे आवाज आई कुण, कुण, कुण, कुण. क्यों कि वह ऐसी आवाज प्रकट करती है. तबले ने कहा-नरक नरक. सारंगी ने आवाज निकाली कौन-कौन यानि वहां जाने वाले कौन-कौन नांचने वाली वहां नांच रही थी और गा भी रही थी कि ये जो मुझे देख रहे हैं, सब वहीं के मेहमान हैं. यह संसार का नरक है. जहां वासना की पूर्ति हो, जहां राग का पोषण हो जहां पाप को प्रवेश दिया जाये, वही तो नरक है. व्यक्ति नरक में बाद में जाता है, पहले नरक मन में पैदा करता है. विचारों से नरक को आमन्त्रण देता है. उसके बाद वह वहां पर जाता है. हमारे जीवन में हमारा संसार नरक न बन जाये इसका ध्यान रखें. इसीलिये आनन्दघन जी महाराज ने सावधान किया, उन महान पुरुषों ने इन सूत्रों द्वारा जीवन की मर्यादा बतलाई कि मर्यादा का ध्यान रखे. यम नियम जीवन की व्यवस्था है, ये आचार संहिता है. ट्रेन दौडती है, और दो-दो इन्च की पटरी. और अगर पटरी का अलग उल्लंघन कर दे, और इन्जन विचार करे कि मैं क्यों इसकी चिन्ता करूं? तो ढाई-ढाई इन्च भी गाड़ी 540 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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