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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी E दिया. इस नई जाति का निर्माण किया, महावीर के शासन को प्राप्त कराया, शुद्ध अहिंसक बनाया, कहीं उनके उपकार में एक मूर्ति आपने रखी? हिन्दुस्तान मे खोज करके आइये कितना बड़ा उपकार इस ओसवाल जाति के निर्माण में जिनकी कृपा से हआ, कहीं रत्नप्रभ सरि जी महाराज की मूर्ति नहीं, जिन्होंने शासन पर इतना महान उपकार किया. हरिभ्रद सूरी, हेमचन्द्रसूरी, कहीं उनका गुरु मन्दिर है? जिनके ज्ञान के प्रकाश में हम अपनी यात्रा कर रहे हैं. जिसके ज्ञान के प्रकाश में हमारी मोक्ष मागे की यात्रा हो रही है. जिनके बनाए साहित्य समुद्र में से रोज हम अमृत का पान कर रहे हैं. उन महान पुरुषों की स्मृति में कहीं गुरु मन्दिर बनाया.. विजयहरि सूरि महाराज जिनकी कृपा के परिणाम स्वरूप आपको वर्तमान में इतने तीर्थ नजर आ रहे हैं. शत्रुन्जय से लगाकर सम्मेद शिखर तक, ये सारे तीर्थंकरों का रक्षण और अधिकार सम्राट अकबर को प्रतिबोधित करके उस महापुरुष ने प्राप्त किया था. कोई ऐसी जगह बतलाएं कि विजय हरि सूरी जी महाराज की स्मृति में कोई मन्दिर बनाया हो. संसार बडा विचित्र है. उसी गुरु से मतलब जो अर्थ काम दे. जो हो पैसा मिलना चाहिए, परिवार मिलना चाहिए, कोई ऐसे साधु संत नहीं कि पंच महाव्रत लेकर उसे भंग करें. महान आचार्य हुए अनेक गच्छों में हुए. परन्तु उन महान महा पुरुषों के जीवन में झांककर देखिए तप और वैराग्य मिलेगा. यदि आप जाकर के अर्थ काम की याचना करें कि भगवन! बहुत मुसीबत में हूं तो क्या उन पांच महाव्रतधारी आत्माओं से यही मांगना है? वे पंच महाव्रतधारी जो आज देवलोक हो गये हैं, ऐसे एक नहीं अनेक चरित्रधारी पुरुष देवलोक हो गए. वहां जाकर के आप उनके नाम से पूजा करे. भक्ति करें कि मुझे अर्थ काम दें. क्या वे कहेंगे कि मै साधु जीवन में था, सद्गति में आया हूं. मोक्ष की भावना से आया हूं. वाक्य आपको जहर देंगे. अर्थ काम तो जहर है. पंचव्रतधारी साधु जो मरकर के सदगति में जाए. वहां तो साधुता की याचना करे, मोक्ष की कामना लेकर के जाए. तप और त्याग की भावना लेकर के जाए. तब उनके अन्दर प्रसन्नता आए, तब वरदान मिलता है. नहीं तो क्या मिलेगा? जिन्दगी भर भटकते रहिए. पाकेट खाली करते रहिए, कछ नहीं मिलेगा. एक नशे में रहेंगे और जीवन पूरा हो जाएगा. जो मिलता है, वह प्रारब्ध से मिलता है. पंच महाव्रतधारी साधु आपको लड़का देंगे. पैसा देंगे. क्या देंगे? उनके पास है ही नहीं वे क्या देंगे? आप मेरे पास आये और कहा महाराज दस हजार का चेक दो. मैंने कहां से लाकर दूंगा. मेरे पास तो मुंहपति है. औधा है. साधुता है, व्रत नियम पच्छखान है. मेरे पास हो तो दूं. जो आशीर्वाद देता हूं, वह भी आपके आत्म कल्याण के लिए देता हूं. साधु कभी संसार की वासना के पोषण के लिए कभी आशीर्वाद नहीं देगा. उसे दोष लगेगा. 538 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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