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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %Dगुरुवाणी: और बड़ी खतरनाक बीमारी है. अच्छा है तुम. अपने घर वापिस लौट जाओ और जो । तुमको करना हो, घूमना-फिरना हो, कर लो. “टुमारो यू शैल डाई." ___मौत का सर्टीफिकेट लेकर मफतलाल दिल्ली वापिस आए कि जगत् में अब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है. यह बड़ी खतरनाक बीमारी है. उन्होंने देखा कि अब अगर मुझे मरना है तो अच्छी तरह से क्यों न मरा जाए. खा-पी कर के और घूम कर के मैं मरूं. उन्हें घूमने का शौक लगा. वह बड़े समृद्ध व्यक्ति थे अपने दर्जी को बुलाकर कहा कि मुझे एक दर्जन सूट सिल कर के दो. मैंने कमाया है और मुझे उसका उपयोग करना है. पूरे हिन्दुस्तान में घूमूंगा और तीर्थयात्रा पर जाऊंगा. जब सूट सीने के लिए दर्जी आया – ऊपर से नीचे का सब माप मालूम था क्योंकि रोज नये कपड़े सिला करता था. कॉलर सीने का जब वह माप ले रहा था. सेठ मफतलाल ने कहा, क्या माप तुम लेते हो, वर्षों से कपड़ा सिला रहा हूं शरीर के एक-एक अंग का माप तुझे मालूम है. ___ दर्जी ने कहा, हो सकता है उस माप में शायद कुछ भूल रह गई हो. मुझे आप फिर से माप लेने दीजिए, दर्जी का आग्रह था. उसने कहा नहीं-नहीं, मैं ठीक कह रहा हूं. मुंह से माप तो बोल गए. गर्दन का माप भी वह कह गए कि सोलह गिरह का है. टेलर ने कहा, मेरा आपसे नम्र निवेदन है, आप माप लेने दीजिए. शरीर का माप लिया गया. अब वे तो पांच-सात वर्ष पहले की बात कर रहे थे और उसके बाद उनका शारीरिक विकास अच्छा हो गया, अतः जो माप पहले था, वह अब पुराना हो गया था. अब गले का माप यदि सोलह गिरह का लिया जाये - वे आज तक सोलह का ही सिलाते आए. दर्जी ने कहा कि सेठ साहब! यह माप आप बदल दीजिए. सोलह के माप में तो आपको फांसी जैसी सजा हो जाएगी. इतना कसा रहेगा, आपकी पाचनक्रिया बिगड़ जाएगा. आपके श्वास में रुकावट पैदा होगी. आंखों के सामने अन्धेरा आएगा. कान में झनझनाहट सुनाई देगी. सारे दिन आपको बेचैनी रहेगी. क्या आपने कभी यह सोचा है? सेठ तो चमक गया कि इसीलिए तो मैं बम्बई गया, और वहां के बड़े-बड़े डाक्टरों को मैंने दिखाया. इंग्लैण्ड के सारे डाक्टर मात खा गए. कोई बीमारी नहीं पकड़ पाया और मैं तो मौत का सर्टीफिकेट ले कर के आया हूं.. यार! तुमने तो गजब की बात कह दी. आप अब बात समझ गए होंगे. बीमारी गर्दन पर थी. एक ज़रा-सी भूल के परिणाम स्वरूप मैं लाखों रुपये नष्ट कर के पूरी दुनिया घूमकर आ गया. REPORTER SATH 27 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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