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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org : गुरुवाणी आप पैसे से नर्सिंग होम और बड़े डाक्टर अथवा एक्सपर्ट डाक्टर ला सकते हैं. बहुत कीमती दवा भी फौरन आप मंगवा लेंगे. मगर आप पैसे से आयुष्य कहां से लाएंगे ? क्या किसी मेडिकल हाल में वह मिलता है? सब चीजें तो पैसे से मिल जाएंगी पर आयुष्य कभी पैसे से नहीं मिलता. वह तो पुण्य से ही प्राप्त होगा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यह हमारी आदत है कि जब सब तरह से व्यक्ति लाचार हो जाता है और हास्पिटल से डाक्टर डिस्चार्ज करके कह देता है कि इन्हें अब घर ले जाओ यहाँ पर अनावश्यक रूप से जगह मत रोककर रखो. जितना इनका आयुष्य है, भोगने दो. इनकी जो इच्छा है, उसे तुम पूरा करो. डाक्टर भी उंगली के इशारे से यह कह देता है कि ऊपर परमात्मा को याद करो. जीवन में जब कुछ करना था, तब तो आपने किया नहीं. और जब डाक्टर ने रेड सिगनल कर दिया कि होपलेस केस, बचने की सम्भावना नहीं, घर ले जाओ, तब परमात्मा का स्मरण किया जाता है. आग लगने के बाद कहते हैं कि महाराज! कुंआ खोदो. आग तो लग चुकी है. यह हमारी अज्ञानता है. मृत्युशय्या पर सम्राट सिकन्दर जगत् का बादशाह लेटा हुआ था और सारे सेनापति सिर नीचे लटका कर के, उदासीन भाव से खड़े थे. सारी दुनिया को जीतने वाला सिकन्दर मौत से हार कर के गया. वह मौत को नहीं मार पाया. उसके पास में अपार वैभव था, परन्तु वहां धन कोई काम नहीं आया. ज्ञानियों ने कहाः "अनित्यानि शरीराणि" शरीर अनित्य है, वैभव अनित्य और नाशवान है, जरा उस पर विचार कीजिए. इसीलिए मैं आपको उस पर चिन्तन दे रहा हूं. मन को कैसे समझाया जाए तथा मानसिक शांति कैसे पैदा की जाए, क्योंकि जहां से समस्या पैदा हुई है, समाधान वहीं से आपको मिलेगा. जो चीजें आप घर में खोते हैं, यदि आप उन्हें बाहर में खोजने के लिए जाएं तो चीज वहां नहीं मिलेगी और वह खोज कभी पूरी नहीं होगी. सेठ मफतलाल यहां से बम्बई गए और वहां से लन्दन गए. उनको कोई ऐसी बीमारी थी, जो डाक्टर डायगनोज नहीं कर पाए, और न ही निदान कर पाए. एक तरह से बड़ी अशांति थी. वह जब खाते तो बड़ी बेचैनी लगती तथा श्वास लेने में रुकावट आती. वह बेचारे सारा दिन उदास रहते और उन्हें भारीपन नजर आता. स्फूर्ति नहीं मिलती थी तो उन्होंने विशेषज्ञ डाक्टरों को दिखाया. किसी डाक्टर ने कहा कि आंख के डाक्टर के पास आप जाओ, नज़र की कमजोरी से भी ऐसा हो सकता है. कान में कोई कारण हो अथवा और कोई बड़े अच्छे चिकित्सक को दिखाओ. कहीं पर भी कोई नहीं मिला और वे इंग्लैण्ड गए. वहां के बड़े-बड़े डाक्टरों ने जब देखा, और डायगनोसिस किया तो कह दिया कि सेठ, तुम्हारा कोई रोग पकड़ में नहीं आ रहा है. ब्लड में नहीं, यूरिन में नहीं, किसी प्रकार के टेस्ट में कोई रोग नज़र नहीं आ रहा है यह कोई नई बीमारी निकली है। 26 For Private And Personal Use Only HOR घ
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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