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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी - मफतलाल बहुत खुश हुआ. बड़े आनन्द में आ गया और नशा चढ़ गया आज तो बिना पसीना उतारे पारस पत्थर मिल गया. कई बार प्राप्ति को पचाना बड़ा मुश्किल होता है. स्वप्न तो बड़े सुन्दर आते हैं परन्तु जब प्राप्ति हो जाए तो उसे पचाने के लिए भी शक्ति चाहिए. मफतलाल को एक बार रात्रि में स्वप्न, बिस्तर में सोए-सोए मकान के अन्दर, बड़ा सुन्दर स्वप्न था. स्वप्न में क्या देखा-कोई फकीर मिल गया. बादशाहों के जमाने में जिस समय कभी अचानक आक्रमण होता, भाग जाना पड़ता. किसी व्यक्ति ने मकान को खोदकर बहुत सोना गाड़ रखा था. रात्रि का समय था, स्वप्न में मफतलाल ने देखा-वहां से कोई फकीर जा रहा है. रास्ते में यह भी घूमने निकले. फकीर के पीछे-पीछे चले. अचानक जाकर के देखा. फकीर ने कहा-बेटा मफतलाल तुम यह मकान को खरीद ले. इसमें बहुत धन दौलत गडी है. मन में समझ आया कि फकीर का शब्द झठा नहीं होना चाहिए. पैसा दिया मकान खरीद लिया. रात्रि का समय था कुदाल लेकर मकान खोदना शुरू कर दिया. ढेर सारे चरू मिल गए. सोने से भरे. हुए. चांदी के सामान से भरे हुए. उसको बड़ा सन्तोष हुआ. जो चाहिए था, मुझे मिल गया, मेरा पैसा वसूल. इतने सारे सोने के मोहर, इतने सारे चांदी के सामान. मन में इतना खुश हुआ. लेकर के जब तिजोरी में भरना शुरू किया और हण्टर मारना शुरू कर दिया. सोना मोहर भी छूट गया, वह बेहोश हो गया, खुदा ने दिया, बिना छप्पर फाड़े दिया परन्तु मेरी हालत बुरी हो गई. मार खा-खा करके प्राण बच गए बस. सब माल पुलिस वाले उठाकर ले गए. ___मफतलाल की हालत बहुत बुरी हुई. यह तो स्वप्न था, स्वप्न में एकदम घबरा के उठा, शरीर पसीना-पसीना हो गया. वह देखता है, मैं जिन्दा तो हूं, पैसा मिले या न मिले, परन्तु उसके बाद जब उठकर देखा तो पूरा बिस्तर बिगड़ा हुआ था. हण्टर की ऐसी मार लगी. इसीलिए कहता हूं पचाने के लिए पुण्याई भी चाहिए. उस शक्ति को पचाने के लिए अपनी शक्ति चाहिए. पारस पत्थर तो मिल गया, घर पर बहुत पुराना बाप दादाओं का बहुत पुराना मकान था. लोहे की एक बहुत बड़ी कोंठ थी. सोचा पहला ही प्रयोग इसमें किया जाए. पारस पत्थर उसमें डाला. घन्टा हुआ दो घन्टे हुए. काफी समय निकला, कोई परिवर्तन नहीं, सोना बना नहीं, फकीर के पास गया. जाकर कहा-महात्मन. आपने यह क्या किया? अगर नहीं देना था तो मुझे बेवकूफ तो नहीं बनाना था. मोहल्ले वाले, परिवार वाले, सबको बुलाकर लाया कि मैं बेवकूफ बना. ऐसा तो नहीं करना था. मैंने कोई जबरदस्ती तो की नहीं. व 525 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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