________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी E आपको अपना मकान बनाना होता तो बात अलग थी, प्रभु का मंदिर बना रहे हैं, हमारे ब्राह्मणों को सन्तोष होगा, हमारा समाज आशीष देगा वस्तुपाल ने आर्डर दिया मंदिर की जितनी जगह है, सोना मोहर बिछा करके लिया जाए. इसका कोई भाव नहीं कोई मूल्य नहीं. इतिहास है. पूरे मंदिर की जगह पर सोना मोहर बिछाया गया. बिछाकर के जमीन मंदिर के लिए ली गई. सारा सोना मोहर ब्राह्मणों को दे दिया गया. सोना बिछाकर के जब मंदिर की जमीन ली गई मंदिर में कैसा भाव और प्राण होगा वह विचार कर लें, कितने अन्दर से आशीर्वाद दिये होंगे हजार वर्ष तक मंदिर आज भी कायम है. देखें तो मालूम पड़े, जैसे आज ही बना है. मकान टूट गए, महल चले गए, वस्तुपाल, तेजपाल का नाम अमर हो गया. ऐसा कार्य किया जाए कि जिससे जीवन को जाते समय भी शान्ति मिले, यहां पर इसीलिए कहा. "लक्षणोपेतः गृहवास इति" मंदिरों के अन्दर या मकान के अन्दर जो भी निर्माण कार्य करें. वे लक्षण से और शिल्प से युक्त हों. शिल्प से शून्य मंदिर और परमात्मा का निवास जहां होगा मन को शान्ति मन को आरोग्य नहीं मिलेगा. उसी तरह, यदि बिना शिल्प का मकान बनाया तो शरीर के अन्दर कोई न कोई असाध्य रोग का कारण बनेगा. मानसिक अशान्ति, चित्त विक्षिप्त रहेगा, परिवार को सुख नहीं मिलेगा, केवल शिल्प के दोष के कारण. "निर्मितं परिक्ष्यति" मकान के अन्दर भूमि की परीक्षा निमित्त की जानकारी से करें. "तथा अनेकनिर्गमादिवर्जनमिति" मकान के अन्दर इस प्रकार की व्यवस्था रखे कि आने जाने का रास्ता परिमित हो, सीमित हो और शिल्प युक्त हो, यह नहीं कि मर्जी में आया यहां खिडकी बना दो, यहां दरवाजा बना दो. जैसा शिल्प में है. शिल्प के अनुसार यदि मकान का निर्माण करें तो बिना पैसों की दवा है, शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार का आरोग्य सुरक्षित रहेगा. इसीलिए विधान दिया कि ऐसी जगह पर मकान बनाना, जहां पर देव स्थान नजदीक न हो. कभी भूल से उनकी आसातना की संभावना न रहे. ऐसी जगह पर मकान बनाया जाए, जहां भय का प्रवेश न हो. कभी किसी प्राकृतिक कोप का वातावरण, जैसे नदी है, नाला है कोई तूफानी जगह है, बदमाशों का अड्डा है. अगर वहां मकान बनाते हैं तो परिवार के संस्कार पर असर पड़ेगा. मन की शान्ति नष्ट हो जाएगी. कल कोई बड़ी आपत्ति विपत्ति भी आ सकती है. ऐसी जगह मकान कभी नहीं बनाना. ये निर्देश इन सूत्रों के द्वारा दिया गया है. "तथा विभवद्यनुरूपो वेषो विरुद्ध त्यागेनेति" NOO 523 For Private And Personal Use Only