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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी उस मंदिर की विशेषता है. जैसे ही मंदिर में जाएं वहां का वातावरण मन पर असर डालता है. उस मंदिर के निर्माण के पीछे बहुत बड़ा इतिहास है.. मंदिर किस तरह से बनाया गया होगा. मजदूरों को कितना प्रसन्न रखा गया होगा. जाते-जाते वहां के कारीगरों ने हिन्दुस्तान का एक ही इतिहास रणकपुर का, और किसी मंदिर का यह इतिहास नहीं मिलेगा. वहां के मजदूरों ने अपने पैसे से पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर बनाया है. वह आज भी मौजूद है. बड़े सुन्दर शिल्प के साथ. आप विचार करिए उनको कितना इनाम मिला होगा. कैसी मजदूरी दी होगी, मजदूरी में यह भाव पैदा हो गया कि जब सेठ ने इतना बड़ा मंदिर बनाया तो हम भी पसीने के पैसे से भगवान का मंदिर बनाएं, पार्श्वनाथ मंदिर वहां के मजदूरों ने बनाया है. सेठ या मुनीम विचार करता है कि सेठ ने मंदिर बनाया इन मजदूरों ने भी मंदिर बनाया. मैं सेठ का मुनीम हूँ. मुझे शर्म आनी चाहिए. मैं भी एक मंदिर बनाऊं. आदिनाथ भगवान का मंदिर सेठ के मुनीम ने बनाया. उस शर्म से कि मजदूरों ने मिलकर जब मंदिर बनाया. मैं तो सेठ का मुनीम हूं. यह हमारे देश की परम्परा थी. आत्माओं को तृप्त किया जाता, प्रसन्न किया जाता, उसके बाद मंदिर निर्माण होता. हजारों वर्षों तक जो मंदिर कायम रहे. आबू का जल मंदिर बन रहा था, उस समय आचार्य भगवन्त ने कहा - समय कम हैं. प्रतिष्ठा शीघ्र होनी चाहिए. महामन्त्री वस्तुपाल, तेजपाल गुजरात के नायक महान वीर पुत्र थे, जब तक वे जीवित रहे, तब तक किसी दुश्मन की ताकत नहीं कि गुजराज की तरफ आंख उठा कर देख ले. उनकी तलवार में वह ताकत थी. ऐसे बहादुर थे. सरसठ बार युद्ध में गए, हरेक युद्ध में विजयी बन करके आए, वस्तुपाल, तेजपाल सेनापति और महामन्त्री थे. क्या ताकत थी? उनके अन्दर. जब देलवाड़ा मंदिर बन रहा था, अठारह करोड़ रुपये लगे थे. जो काम कागज पर नहीं कर सकते वह काम पत्थर पर किया गया था. वह मंदिर जब बन रहा था आचार्य महाराज ने निर्देश दिया कि अब तुम्हारे आयुष्य कम हैं, प्रतिष्ठा उससे पहले कर लेनी है. कारीगरों के पास गए. अनुपमा देवी से कहा ने कारीगरों से. कहा, “इस मंदिर का तुम जल्दी से निर्माण करो.” कारीगरों ने कहा - क्या बताएं, आबू में इतनी ठण्ड पड़ती है कि हमारे हाथ काम नहीं करते हथौड़ी नहीं चलती. अनुपमा देवी ने अपनी रसोई में जाकर आदेश दिया - “सारे कारीगरों को बादाम का सीरा हर रोज खिलाओ. रोज गर्मा गरम माल-मसाला खिलाओ. जितना खा सकें जिससे मंदिर का काम जल्दी कर सकें." रसाई में आर्डर हो गया - कारीगरों को जैसा चाहिए पकवान मिष्ठान्न ताकि उनके शरीर में गर्मी आ जाए, अनुपमा देवी. द्वारा पूछने पर कारीगरों ने कहा “माता जी! आप A IMPA 521 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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