________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गुरुवाणी - मैंने कहा - ये कपड़े हमारे अनुकूल नहीं हैं वहां के लिए अनुकूल हो सकता है जिस देश में अधिक ठण्डी पड़ती हो, वहां ये पेंट-सूट काम आएगा, परन्तु हमारे देश में इसकी जरूरत नहीं है. बहुत सारी बीमारियों का यह भी एक कारण है. खानपान बिगड़ा. रहने की जगह बिगड़ी. अपने वस्त्र परिधान की मर्यादा का हमने उल्लंघन किया. उसके ये परिणाम कि इतनी बड़ी संख्या में आज हॉस्पिटल बनने लगे. चालीस-पचास वर्ष पहले भारत में गिनती के हॉस्पीटल थे, कोई ऐसी भयंकर बीमारी नहीं थी. मोहल्ले में यदि कभी कोई डॉक्टर आ जाए तो पूरा मोहल्ला देखता कि यह कहां से आया? किसके पास आया? यमराज का प्रतिनिधि जा कहां रहा है? यदि किसी घर में गया तो पूरा मोहल्ला वहां पूछने आता, ऐसी क्या बात हुई डॉक्टर बुलाना पड़ा? बड़े शहर से लाना पड़ा? पूरे दिन श्रम करते हैं ? श्रम की चोरी करेंगे तो बीमारी आएगी ही. खाना सीख लीजिए श्रम की चोरी बन्द कर दीजिए. आज तो श्रम की चोरी, यहां से बाहर जाना है तो गाड़ी. घर गए तो लिफ्ट, आराम से एयर कण्डीशन में बैठे हैं, बीमारी नहीं आएगी तो क्या आएगी? दो तो बिना बुलाए आएगी. परिणाम वहीं आता है. उस घर में पूरा मोहल्ला जाकर पूछता है क्या हुआ? डॉक्टर बुलाना पड़ा. एक तो वह जमाना था कभी डाक्टर आ जाए तो पूरा मोहल्ला जग जाता. घर के अन्दर पूरे मोहल्ले के लोग आते सांत्वना देते. आज यह स्थिति है कि हर व्यक्ति के पास फैमिली डॉक्टर मिलेगा. हॉस्पीटल इतनी बड़ी संख्या में हम बढ़ाते जा रहे हैं. उस जमाने में मुश्किल से तीन चार हॉस्पीटल मिलते. सर्दी जकाम बखार आता तो उपवास कराके काढ़ा पिला देते, चला जाए, हमेशा के लिए. फिर आए ही नहीं, आप तो जानते हैं कोई कम्पनी यदि एक दवा निर्माण करती है तो तुरन्त उस पर खोज शुरू हो जाता है. हजारों लाखों प्राणियों को मारने के बाद आज का मैडिकल साइंस यह घोषणा कर देता है कि यह दवा बन्द कर दें, इसका साइड इफैक्ट है. लाखों व्यक्तियों की मौत के बाद उनका यह निर्णय आता है. दवा अमेरिका बनाता है और प्रयोग भारत में होता है. इस प्रलोभन में आ जाते हैं, तुरन्त हमको आरोग्य मिल जाएगा. यह नहीं सोचते कि दवाओं का प्रयोग हमारे ऊपर ही किया जा रहा है, ऐसी छोटी मोटी बहुत सी बाते हैं. सूत्रकार ने एक-एक चीज स्पष्ट कर दिया. हमारा आहार भी सात्विक होना चाहिए. किस तरह का आहार करना उसकी भी कला बतला दी. कहां रहना? घर कैसा होना चाहिए? उसकी भी विधि बतला दी. ___"लक्षणोपेत गृहवास इति" मकान भी कैसा बने जो लक्षण से युक्त हो, शिल्प के अन्दर पाषाण लक्षण बतलाया है, मकानों का निर्माण कैसे करना. मंदिरों में भी यह कला है. शिल्प कला है, हमारे यहां 519 For Private And Personal Use Only