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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी KBAR हमारा विकृत बना, पहनने के लिए भी साधन बतलाया गया. कैसे आहार के साथ कैसा वस्त्र धारण करें? वह भी निर्देश दिया गया. जलवायु के अनुकूल वस्त्र निर्माण किया गया. सिला हुआ वस्त्र कैसा होना चाहिए? किस प्रकार का होना चाहिए? आप जानते हैं, यहां गर्मी कैसी है, इसी के अनुसार वस्त्र होने चाहिए. शुद्ध सात्विक और शुचिवस्त्र, जिससे गर्मी की मात्रा शरीर में कम जाए. परन्तु अधिक मात्रा में टेरिलिन टैरीकोटन के, पैट्रोलियम कैमिकल के, बनने वाले हैं, कोयला ऑक्सिजन और पानी, मिला करके इसका निर्माण होता है, जहां भी पैट्रोलियम कैमिकल्स होगा, वह बड़ा जलनशील होगा, शरीर बर्दाश्त नहीं करेगा. सविधा के लिये ये कपडे पहनने वाले व्यक्ति कि पानी से धोया और साफ स्त्री करने की जरूरत नहीं परन्तु वो भूल जाते हैं कि शरीर के आरोग्य के साथ हम खेल रहे हैं, वह कपड़ा यदि पहन करके आएंगे, सूर्य की गर्मी जब अन्दर जाएगी, क्योंकि शरीर से जो पसीना निकलना चाहिए, नहीं निकलता शरीर के अन्दर जिस प्रकार शुद्ध हवा मिलनी चाहिए, बाहर की गर्मी जिस मात्रा में खानी खहिए, उसमें रुकावट पैदा करेगी. ___ अन्दर की गर्मी बाहर जाएगी नहीं, पसीना वहीं का वहीं सूखेगा. वह फिर दाग बनेगा, खुजली बन जाए, एग्जिमा बन जाए, या चर्म रोग उत्पन्न करेगा. उसका यह परिणाम होगा कि वह अधिक मात्रा में शरीर में गई हुई गर्मी अन्दर में प्रेशर भी हाई करेगी. हाई ब्लड प्रेशर उत्पन्न करेगी. कई तरह की बीमारी इससे पैदा होगी. इसीलिए कहा शुद्ध सात्विक वस्त्र होना चाहिए. ऐसी सन्दर व्यवस्था यहां पर की गई कि गर्मी में जरा भी तकलीफ न हो. परन्तु हमने बम्बई में देखा था, वैशाख का महीना, कोई जवान आया. ऊपर से नीचे तक जैसे पार्सल पैकिंग करके लाया हो पूरा पैक. मैंने कहा - लन्दन अमेरिका नहीं, यह तो बम्बई है. तुम जानते हो यहां 40 डिग्री गर्मी पड़ती है. हयूमिडिटी 70 प्रतिशत होता हैं. तुम कितने बेचैन हो रहे हो. यह कोट वगैरा खोलो.. मैंने कहा - जो तुमने टाई वाई पहना है, यह किसी यादगार में पहना है? महाराज! वह तो मालूम नहीं.. __ मैंने कहा - बिना मालूम तुमने पहन लिया. वह तो लार्ड क्राईस्ट की यादगार में पहनते है, क्रिश्चियनिटी के अन्दर उनका रिवाज है. टाई पहनने का कि हमने लार्ड क्राईस्ट को इस प्रकार सूली पर चढ़ाकर उनकी यादगार में पहनते हैं ताकि हमेशा उनकी याद बनी रहे, तुम्हारे कौन से तीर्थंकर या अवतारी पुरुष को चढ़ाया गया. नकल में अकल तो होती नहीं, फिर हमारी आदत. देसी मूर्ति विलायती चाल. जन्मे इन्डिया में और नकल करते हैं अमेरिका की. आदत से मजबूर हैं. 518 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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