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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी रोज तुम्हारा स्वागत किया करूंगा, एक आला बनाकर के उस आत्मा की शान्ति के लिए चिराग शुरू कर दिया. आज तक उसके बाद कुछ नहीं हुआ. जो उपद्रव करती है, सम्मान के बाद यही आत्मा आपके लिए बहुत उपकारी बन जाएगी. इसीलिए पूर्वाचार्यों ने लिखा, बहुत योग्य स्थान के अन्दर मकान बनाना, किसी देवी देवता का स्थान न हो. कोई कब्रिस्तान न हो, किसी आत्मा को पीड़ा पहुंचे. उस आत्मा का अविनय हो, ऐसा भी नहीं करना. साधु साध्वियों को भी निर्देश है. कहीं भी जाएं, भ्रमण करें, विहार करें, परन्तु किसी भी देवी-देवता की जगह पर अशुद्धि आदि न करें, या उनका अविनय हो, ऐसा कोई कार्य न करें. हर आत्मा को सम्मान प्रिय है, क्यों उन्हें अपमानित किया जाए. बहुत वर्ष पहले जब मैं गुजरात था, ऐसी ही घटना पाकिस्तान के कराची में हुई. बहुत बड़ी बिल्डिंग किसी ने बनाई. जब वहां अमेरिकन राष्ट्रपति आए हुए थे. राष्ट्रपति के आगमन पर पूरा स्टाफ वहां पर उतरा था. क्योंकि गवर्नमेंट ने वह मकान किराये पर लिया था. उनके उतरने की सारी व्यवस्था कराची में उसी मकान के अन्दर की थी. रात्रि में चार जो बडे ऑफिसर्स थे, उनको स्वप्न आया स्वप्न में अलग-अलग प्रकार की सूचना मिली, तुम जल के मर जाओगे, तुम गिरकर मर जाओगे, किसी से कहा-तुम डूब करके मर जाओगे. विदेशी थे, ऐसी बातों पर विश्वास करने वाले नहीं थे, परन्तु फिर भी स्वप्न आया. अर्थात् घटना जीवन के अनुभव में आई. उन्होंने डायरी में नोट कर लिया. ___ काफी चर्चाएं चली. बराबर छ: महीने बाद जिनको जैसा स्वप्न आया था, वैसा ही परिणाम आया. समुद्र में तैरने गया. डूब के मर गया. एरोप्लेन क्रैश हुआ. गिर गया. जैसा स्वप्न में देखा था वैसा ही हुआ. घर के अन्दर आग लगी और जल के मर गया. चारों व्यक्तियों की इस प्रकार मौत हई. स्थान अशद्ध था, जैसा चाहिए वैसा उनका सम्मान नहीं हुआ. उसका यह परिणाम. यह बहुत सारे घरों में यह स्थिति होती है, बीमारी आती है, उपद्रव होता है, आर्थिक दृष्टि से नुकसान होता है, उसमें कई बार ऐसा भी कारण होता है कि मन की शुद्धि नहीं रहती. मन का वातावरण मकान का वातावरण अशुद्ध रहता है, मकान के अन्दर जैसी शान्ति चाहिए, वह शान्ति नहीं मिलती इसीलिए कहा - ___ "तथा स्थाने गृहकरणमिति" उचित और योग्य स्थान के अन्दर घर का निर्माण करें, शुभ मुहूर्त में मानसिक प्रसन्नता के अन्दर वह भी परमात्मा के स्मरण के द्वारा, अनुष्ठान के द्वारा, उस मकान का भूमि पूजन करें मकान कैसा बनाएं. निर्माण तो करें पर निर्माण के बाद उसके अन्दर किस तरह की योजना. "अतिप्रकटातिगप्तस्थाननुचित प्रातिवेश्यं चेति" यहां पर पूरा जैन शिल्प है, मकान के निर्माण की पूरी योजना इसके अन्दर बतलाई पूर्ण वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बतलाई. अति प्रकट स्थान भी नहीं चाहिए कि चारों तरफ - 513 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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