________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी विकार को मारने का परम साधन यह वस्त्र है. वेष भूषा का भी हमारे मन पर बडा सुन्दर असर पड़ता है. आप पूजा का वस्त्र पहन करके परमात्मा के मन्दिर में जाइये. कभी विकार आयेगा? स्नान करके शुद्ध होकर के पूजा का वस्त्र पहन कर मन्दिर जाते वक्त आपकी भावना कैसी होती है? संध्या के समय प्रतिक्रमण या सामायिक की मंगल क्रिया करने आइये. श्वेत शुद्ध वस्त्र पहनकर के आइये. आप देखिये, उस समय भावना कैसी होती है? पैन्ट शर्ट पहन करके इत्र लगाके किसी के द्वार में जाइये तब देखिये, भावना कैसी होती है? दोनों भावनाएं देखना कि कपड़ा मन पर क्यों असर डालता है? बडी सूक्ष्म प्रक्रिया होती है. ने गुरु चरणों में नमस्कार करके निवेदन किया भगवन्त, यहां से रात्रि में ही चलना अच्छा है. यदि आप रात्रि में नहीं निकलें तो परिवार वालों को मालूम पड़ेगा वे वापिस ले जायेंगे. बच्चे गांव में जाकर बात तो करेंगे. और भगवान घर वाले आपके साथ दुर्व्यवहार करेंगे तो अनर्थ हो जायेगा? मुझे भी फिजूल में संसार मे ले जायेंगे. कृपा करके रात्रि में ही जाना ठीक रहेगा. महाराज भी समझ गये. बात तो सही है. शिष्य का कितना सुन्दर निवेदन, स्वयं के चरित्र के रक्षण के लिए, मेरे गुरु को परिवार वाले चोट न पहुंचायें, मुझे घर न ले जायें इसीलिए नम्र निवेदन. रात्रि में निकले. गुरु महाराज ने कहा-मैं तो अवस्था वाला हूं. पांव से चला नही जाता. मै कैस चलू. __ मेरे कन्धे पर बैठिये, मै जवान हूं, राजपुत्र हूं, घोड़े पर शिकार करने जाता था, शेर से भी मैं नहीं डरता था, भगवन् आपकी कृपा से मुझ में ताकत है. मैं आपको लेकर के चलूंगा. गुरुजी! रास्ता अंधकार से परिपूर्ण, रात्रि, कहीं वृक्ष की डाली अन्दर आये, कान में आख में, लगे. रास्ते में खडडे आयें. पांव डगमगाये गरु गिरते गिरते बच जाते. गुरु महाराज को इतना क्रोध आता, कैसा नालायक शिष्य है? अकल नहीं है? तेरे निमित्त से मुझे रात को चलना पड़ता है, कितनी विराधना करनी पड़ती है? रात्रि में साधु नहीं चले. उसे यह तो अपवाद है, आत्मरक्षण के लिए किसी आत्मा के कल्याण के लिए, जाना पडे. तेरे आने से मुझे आज कितनी अशान्ति हई, क्रोध करना पड़ा. रात्रि में विहार करना पड़ा. वृक्ष की डाली मुझे लगती है. नालायक सीधा चला नहीं. बोलने जैसे शब्द नहीं करते कैसा व्यवहार. शिष्य की समता कैसी? भगवान मुझे क्षमा करें, अंधेरे में मुझे दिखता नहीं है. बडी सावधानी से चलूंगा. क्षमा करें. गुरु शान्त करने का प्रयास करते, अवस्था थी, फिर गड्ढे में पांव गिरता एक बार आंख में डाली लगी, बड़ी पीडा हुई. उठाकर जोर से डन्डा मारा. माथा फट गया, खून 504 For Private And Personal Use Only