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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - -गुरुवाणी था. उसका कपड़ा उतारा और साधु का कपड़ा उसको पहनाया. दीक्षा लेगा? बार बार मसखरी करता है? ले दीक्षा. जबरदस्ती साधु बना दिया. कमरे में ले जाकर सांकल लगा दी, अब कैसे निकलेगा? देखता हूं. मसखरी सारी हवा हो गई परन्तु क्या करिए. अन्दर रहा हुआ राज पुत्र लड़का बड़ा कुलीन, बडा खानदानी, अशुभ निमित्त भी उसके लिए कल्याणकारी बना. मन में सोचता है, मैंने एक साधु को अकारण कष्ट दिया. बिना कारण मैंने मसखरी की. अनर्थ किया इस आत्मा को कितना दुख पहचा होगा? जब मै खानदानी व्यक्ति हूं इन्होंने जब विचार पूर्वक आशीर्वाद देकर मुझे साध ही बना दिया. तब संसार में मेरा जाना उचित नहीं. मेरे खानदान में कलंक लगेगा. कैसा व्यवहार उसके अन्दर था. जवाब में साधु ही बन गया, त्याग कर दिया. अब मै संसार में नहीं जाना चाहता. अब जो उल्टी हो गई उसका क्या चाटना. जो संसार छोड़ दिया अब उसमें मुझे तो नहीं जाना. यह तो निश्चित है. संध्या का समय था. अंधकार होने को आया, गुरु भगवन्त ने प्रतिक्रमण पूर्ण किया जाकर चरणों में झुककर निवेदन किया. कितना विनय कितना बड़ा परिर्वतन आया. साधु का वेश किया वाला कपड़ा भी रक्षण करने वाला, बिना पैसे का चौकीदार है. कोई गलत जगह नही जाने देगा, वह रोक देगा. तुम कहां जा रहे हो? लोग क्या कहेंगे? लोग निन्दा का भय, यह वेश बहत बडा उपकार करता है. कोई गलत जगह नहीं जाने देगा. यदि आपके कपड़ो में मै बैठा रहूं कौन रोकने वाला है? रात में जाये, होटल में जाये, सिनेमा मे जाये कौन रोकने वाला है किसको पडी है? वह कपडा रोकता. आपकी गैर हाजिरी मे हमारा यह रक्षण करता है. मर्यादा बतलाता है, संसार मे कहां पर भय है, उस भय का दर्शन वेश देता है, वहां जाने से लोग क्या कहेंगे. बहुत बड़ा उपकार करता है यह वेश. इसीलिए चारित्र के वेश को भी हम वन्दन करते हैं. नमस्कार करते हैं यह जड़ भी चैतन्य पर उपकार करता है. साधु का वस्त्र जब उसको पहना दिया. वस्त्र का उसका प्रभाव लोग कहते हैं कपडा क्या काम करता है? सीता का हरण हो गया, रावण के पास बहुत सारी विद्यायें थीं. रावण के मित्र ने कहा तुम क्या मेहनत करते हो-राम का रूप बनाकर राम की वेशभूषा पहनो. उसके बाद तुम जाओ. सीता तुम्हारे हाथ में आ जायेगी. रावण ने कहा-तुम मुझे क्या सिखाते हो? एक दर्जन बार मैंने मेहनत की है. जब-जब राम का वस्त्र पहना, गेरूआ वस्त्र वैराग्य का प्रतीक. राम का वस्त्र धारण किया पुण्यस्मरण किया, सीता के पास जाने का मनोविकार ही मर गया. 503 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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