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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी "अरे, तुम क्या समझते हो? करोड़ों की संपतियों का मैंने त्याग कर दिया. इतना बडा उद्योग चलता था, बाजार में दुकान चलती थी, इतना बड़ा परिवार था, मैंने त्याग कर दिया और साधु बन गया." सज्जन श्रावक था, एकान्त में जाकर कहा, "भगवन्! क्षमा करना. आपका अविनय नहीं करना चाहता. आपकी साधुता के ऋण के लिए दो शब्द कहना चाहता हूं. आपने जो त्याग दिया, उसका त्याग कर दीजिए. आपका कल्याण हो जायेगा." छोटे से शब्द में कितनी बड़ी बात बतलाई कि आपने जो त्याग किया है, वह त्याग लेकर के आप चल रहे हैं, उसकी स्मृति आपकी साधना में बाधक है. जो आपने करोड़ की सम्पति का त्याग किया, उस त्याग का भी त्याग कर दीजिए. ताकि पूर्व की वासना आपको सताए नहीं. आपके शब्द में से दुर्गन्ध न निकले. संयम का सुगन्ध बाहर प्रकट हो मेरी यह कामना है. साध को सावधान कर दिया. पूर्व की स्मृति भी बड़ी खतरनाक है. वह भी अभिमान का पोषण करती है. कुल का मद, जाति का मद, वैभव का मद, न जाने कितना नशा उसके अन्दर में होता है. त्याग एक अलग वस्तु है, जहां त्याग होगा, वहा पूर्ण गम्भीरता होगी. जहां पर त्याग होगा, वहां पर पर बडी सुन्दरता नजर आयेगी. किसी भी सन्दर वस्त को बतलाने के लिए शब्द की जरूरत नहीं पडती. आंखें चाहिए जहां ज्ञान चक्षु होगा. वहां पर त्याग तप की सुन्दरता सहज में नजर आयेगी. व्यक्ति अपनी विचार दृष्टि से स्वयं समझ लेगा. बतलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, व्यक्ति न जाने कब सावधान हो जाये, काम शत्रु पर विजय प्राप्त करले. कई बार व्यक्ति भयंकर क्रोध करता है, क्रोध का परिणाम आप को समझा दिया है. अतिशय क्रोध से शारीरिक दृष्टि से कितना भयंकर नुकसान होता हैं. प्रेम और मंगल भावना बहुत बड़ा उपचार है. सारे रोग इससे खत्म हो जाते हैं. अति क्रोध करने वाले व्यक्ति तो अस्सी प्रतिशत होते हैं. अटैक आता है क्योंकि उसका ब्लड प्रेशर हमेशा हाई होगा. विचार मे उत्तेजना मिलेगी और विचार की उत्तेजना दिल और दिमाग पर असर करती है. अति क्रोध-अति विचार का तनाव धीमे धीमे पेट में अल्सर पैदा करेगा. एसिड उत्पन्न करेगा, उसका परिणाम विचार का प्रेशर, रक्तचाप करेगा. हाई प्रेशर होगा. कभी कभी हैम्ब्रेज भी हो सकता है. पैरालाइसिस का अटैक भी हो सकता है. सारे रोग वहां से पैदा होते हैं. हिन्दुस्तान नहीं विश्व में विज्ञान का सबसे बड़ा ग्रन्थ, सबसे प्राचीन ग्रन्थ, चरक संहिता भारतीय ऋषि मुनियों का चिन्तन, आरोग्य के लिए क्या चाहिए. निर्दोष वस्तु उसमें बतलाई गई. पांच हजार वर्ष पहले शारीरिक विज्ञान हिन्दुस्तान ने तैयार किया. जिसे आज हम चरक संहिता कहते हैं. विश्व भर में जितने भी बड़े वैज्ञानिक हैं, शारीरिक आरोग्य के लिए जो भी कुछ प्राप्त किया उसकी नीव चरक संहिता है 500 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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