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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %Dगुरुवाणी डाक्टर साहब यदि हृदय विशाल बन जाये, प्राणी मात्र का समावेश हो जाये तो पाप मर जाता है, मौत मर जाती है, हार्ट एनलार्ज होता है, हार्ट जब फैलता है, पोला होता है तो डाक्टर कहता है- तुम मर जाओगे. गुरु महाराज कहते हैं यदि तुम्हारा हृदय विशाल बन जाये. "उदार चरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्" यह प्राणि मात्र मेरे परिवार के सदस्य हैं, सभी का समावेश हो जाये हृदय की विशालता पाप को मार डालती है, मौत को मार डालती है. हार्ट एनलार्ज हो जाये, उसकी कोई चिन्ता नहीं. हृदय का ईलाज करिये, पाप मर जायेगा. बहुत सहज उपाय है. हम कभी इस तरफ ध्यान नही देते हैं. आध्यात्मिक गवेषणा कभी नहीं करते. कुछ चिन्तन होगा नहीं, मैं कौन हूं? क्या हूं? मेरी स्थिति क्या है? ___ मुझे अपने जीवन का नव निर्माण किस प्रकार करना है, आत्म विकास किस प्रकार की साधना से करना है? कभी इस पर विचार या चिन्तन नहीं किया. चिन्ता की चिनगारी यदि जरा भी लगी होती तो पाप और वासना जल करके राख बन गई होती. आज तक चिन्तन की चिनगारी हमने प्रकट ही नहीं की. कभी जीवन की गहराई में हम गये नहीं. जहां जाने पर आत्मा को परमतत्व की प्राप्ति होती है. समुद्र की गहराई में उतरने के बाद ही मोती मिलते हैं. प्रवचन की गहराई में डुबकी लगायें तभी रत्न मिलते हैं, जो मोती से बहुत मूल्यवान हैं. हमने कभी डुबकी लगाई ही नहीं. फिर भी सब कुछ पाना चाहते हैं. सारा जीवन पाप और वासना में चला गया. यू डू नोट वरी, कोई चिन्ता न करें. उपाय परमात्मा ने बतलाया है, कुंआ के अन्दर पानी भरने जाये. कदाचित हाथ से अगर रस्सी सरक जाए, पूरी बाल्टी अन्दर, पूरी डोरी हाथ से अगर निकल जाये, मात्र चार अंगुल डोरी आपके हाथ में रह जाये तो पूरी बालटी बाहर आ जायेगी. आपने देखा अनुभव किया. चार अंगुल डोरी आपके हाथ में रह जाये और पूरी रस्सी बालटी कुंआ में चली जाये तो वह तुरन्त आपकी बालटी को बाहर निकाल लेगा. जीवन के अन्दर चालिस पचास वर्ष क्या पानी में गया? कोई चिन्ता नहीं. आयुष्य की डोरी चार अंगुल भी पानी में पकड में आ जाये, थोड़ा सा जीवन यदि शेष रहे और अन्तर की जागृति आ जाये तो पूरे जीवन का उद्धार हो जाता है, जीवन के परम तत्व को प्राप्त कर सकते हैं. न जाने कि कौन सा निमित्त उपयोगी बन जाये. यहां पर अन्तर शत्रु “काम" का परिचय दे रहा था. सारे दुश्मनों का सम्राट विषय वासना यदि अन्दर में आई, गुप्त रोग है, जल्दी प्रकट नहीं होता, गुप्त रोग का इलाज करना बहुत मुश्किल होता है जो मन के अन्दर ही रहता है. मन में विकार कैन्सर पैदा करता है, सारी साधना को मूर्छित कर देता है. 497 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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