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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी बस इसी लाइफ जैकेट जैसा काम परमात्मा का स्मरण है, आप कुछ मत करिये निष्क्रिय रहिए, मात्र अन्तर्भाव से उस स्मरण में सक्रिय बन जायें. इस स्मरण में यह ताकत है कि आपको संसार में डूबने नही देगा. आपको तैराएगा. लाइफ जैकेट किस को पहनाया जाता है. जिसको तैरना न आये. हाथ पांव चला सके, भयं, से मुक्त करने के लिए यह व्यवस्था दी जाती है टयूब का आश्रय दिया जाता है कि पानी में डूबे नहीं. यहां भी यही रास्ता है, आप साधु नहीं बन सकते, आप व्रत नियम नही ले सकते, जीवन की कोई ऐसी क्रिया जप, तप नहीं कर सकते तो हमारे यहां व्यवस्था है, परमात्मा के स्मरण का लाइफ जैकेट हम दे देते हैं ताकि हमारी कोई भी संसारी आत्मा जगत में डूबे नहीं, तैरती रहे. तैरना तो सीखना होगा. आप यदि आग्रह करें कि मुझे पहले तैरना सिखाओ बादं में छलांग लगाऊं तो आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ. बिना सीखे तो तैरना आता ही नहीं. जब तक कूदेंगे नहीं, वहां तक तैरना कभी नहीं आयेगा साहस तो होना ही चाहिए, बिना साहस के साधना में प्रवेश होता ही नहीं. बिना साहस के आप कूदेंगे ही नहीं तैरना कहां से आयेगा. संसार में हम तैरने के लिए आये, वह स्थिति हमें प्राप्त करनी है. इन्सान अपनी बुद्धि का उपयोग बहुत कर रहा है. बम्बई में एक मकान में गया, संयोग से बाईसवें माले तक चढ़ना पड़ा. चढ़ते-चढते मैंने सोचा कि मकान तो इन्सान बहुत ऊंचा बनाता है, अभी बम्बई में एक सौ मंजिला इमारत बन रही है, बत्तीस पैंतीस तो बहुत है, सौ मंजिल इमारत बनने का प्लान नक्की हो गया. मैंने सोचा, इन्सान जितनी ऊंची इमारत बना रहा है, उतना ही इन्सान छोटा बनता जा रहा है. इमारत की तरह अपने विचारों को ऊंचा बनाइये. अपने आदर्शों को उचाइयों पर ले जायें. ये तो जड़ हैं, अपने चैतन्य को उर्ध्वगामी बनायें. चेतना का ऊर्चीकरण करें, आदर्श की उंचाईयों पर जायें परमात्मा का दर्शन करें. आत्मा की अनुभूति होगी. साधना का स्वाद मिलेगा. एक प्रकार का दिव्य संगीत मिलेगा. हमने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया. पाली में चातुर्मास था. डाक्टर ने देखकर के कहा-आप को विश्राम की जरूरत है, आपका हार्ट एनलार्ज हो रहा है, डाक्टर ने कहा-हार्ट जब एनलार्ज होता है उसकी पोलाई बढ़ जाती है इन्सान के लिए वह मौत का पैगाम है. मौत को बुला कर लाती है, हार्ट ठीक से वर्क नही करता. जब गुरु महाराज जी ने एक शब्द कहा-डाक्टर साहब! मैं तो साधु हूं, घर से निकला हूं, कफन साथ लाया हूं, मौत की मुझे कोई परवाह नहीं जो परमात्मा ने ज्ञान से देखा है वह तिथि निश्चित है. जाने के लिए मैं तैयार हूं, परन्तु एक बात मैं आपसे कहूं? हार्ट का एनलार्ज होता है तो मौत को लेकर के आता है. ऐसा आप का कहना मौत की वार्निंग है. 496 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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