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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी जाने के तरीके में अन्तर है. एक अपनी स्थिति को प्राप्त कर रहा है, एक अपनी परिस्थिति से लाचार है. परिस्थित वश जाना है या स्वतन्त्र होकर संसार से मुक्त बनना है? यह निर्णय हमें करना है परमात्मा की आराधना, परमात्मा की भक्ति संपूर्ण कर्मो का नाश कर देती है, 1965 में जब मेरा चर्तुमास जोधपुर में था, उस समय करीब 256 बम गिरे होगें. पाकिस्तान का भयंकर आक्रमण था. एक-एक बम के विस्फोट एक एक हजार पौन्ड के थे, अगर आप कान में रूई न डालें तो कान के पर्दे फट जायें, बीस किलोमीटर दूर हम से बम गिरता था, आवाज इतनी भयंकर कि व्यक्ति थर-थर कांपने लग जायें. ___ मकान क्रेक हो गये. न जाने कितने मकान बंगले तोड डाले, मेरा चिन्तन यही था कि बम कितना निरपेक्ष है, मारते समय कभी यह नहीं सोचता कि ये हिन्दू है, मुसलमान हैं, ईसाई हैं, सिख हैं, बच्चे हैं, बूढे हैं, किस धर्म के हैं? किस जाति के है? यह जहां गिरता है, सबको मारता है, किसी भी व्यक्ति का हो, किसी भी संप्रदाय का हो. गरीब हो, बूढा हो, बच्चे हों, बीमार हो, इसकी आंख नहीं होती. सबके साथ एक जैसा व्यवहार करता है. जब कभी गिरेगा तो सबको मारेगा. प्रार्थना करते-2 मेरे मन में विचार आया, परमात्मा की शक्ति भी तो बम जैसी है, बम से भी ज्यादा शक्ति है परमात्मा के स्मरण में, परमात्मा का स्मरण किया जाये तो बम तो सबको मारता है और परमात्मा का स्मरण सबको तारता है किसी भी जाति का हो, किसी भी मत का हो. बम गिरते समय जरा भी भेदभाव नही रखता. परमात्मा का स्मरण भी इतनी शक्ति रखता है. कोई भी आत्मा उसका स्मरण करे और उसका विस्फोट अन्दर में हुआ हो, हिन्दू हो, मुसलमान हो, कोई भी हो, सबको तार देता है. बम्ब में मारने की ताकत है और परमात्मा स्मरण से तारने की ताकत है, दोनों में से उसे पसन्द करना है अन्दर में जितने भी कर्म हैं, ये बम जैसे हैं. काम के द्वारा इसका विस्फोट हो सकता है, क्रोध के द्वारा इसका विस्फोट हो सकता है, माया प्रपंच द्वारा इसका विस्फोट हो सकता है, जब भी विस्फोट होगा, आत्मा के लिए घातक सर्वनाशक है. मर जाये उसकी चिन्ता नहीं, मरने पर दुर्गति होती है. अनन्तकाल की पीड़ा अन्दर में उपस्थित करता है. मौत तो एक बार क्षण मात्र के लिए दर्द देगी परन्तु मरने के बाद जो दुर्गति की पीडा है वह बडी भयंकर पीडा है. उससे बचने के लिए परमात्मा का स्मरण ही एक मात्र उपाय है. किसी व्यक्ति ने पूछा-क्रिया न करूं, तप न करूं, कोई ऐसा कार्य न करूं, तो भी परमात्मा की शक्ति उपर से उतरेगी. मैंने कहा-बेशक. आपको तैरना नही आता, आप हाथ पांव न हिलायें, हाथ पांव हिलाने की जरूरत नहीं- मैं आपको टयूब देता हूं पानी में जाइये तो डूबेंगे नहीं. हा 495 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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