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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir %Dगुरुवाणी व्यक्ति हैं. बहत बडी जवाबदारी लेकर के चलते हैं. जाने कितने महत्वपर्ण व्यक्ति है कि अपनी आत्मा के लिए दो घड़ी नही दे सकते हैं. इन्हें मालूम नहीं कि कल हमें मरना है. सारी मजदूरी हमारी यहां ही रह जायेगी, नफा में कुछ नही मिलेगा. संसार में नफा की आशा ही छोड दें. जो मुझे लेकर के जाना है उसके लिए कोई मेहनत नहीं की और जो छोड़कर जाना है जीवन पर्यन्त उसी के लिए मजदूरी करते रहे, यह मालूम है कि छोड़ करके जाना है. कैसी दशा है? ___ "मेरे पास समय नही है,” ये लोग बहाना निकालते हैं, सारे संसार के लिए उनके पास समय होता है, परमात्मा के स्मरण के लिए फुरसत नहीं, किसी ने बहुत सुन्दर बात कही "अगर परमात्मा के स्मरण के लिए स्वयं की आत्मा के लिए तुम्हारे पास समय नहीं तो जगत में तुम बहुत दया के पात्र हो.” उसने कहा. कुछ काम कर लो, कुछ काम करलो दुनिया में आकर कुछ नाम कर लो, यदि नही है तुमको फुरसत आराम से, तो मुर्दो के साथ जाकर कब्र में आराम कर लो. जगत में आये हो तो कुछ काम करो. कार्य के द्वारा तुम लोगों के हृदय में सदैव जीवित रहो. मरने के बाद भी लोग जीवित रहते हैं. हर आत्मा की स्मृति में उनका स्मरण कायम रहता है. उनके कार्य हजारों वर्षों तक लोगों को प्रेरणा देते हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो प्रमाद से घिरे हुए हैं. उन्होंने कहा मुझे कोई आपत्ति नहीं, मुर्दो के साथ जाओ कब्र में आराम करो. कोई उठाने वाला नहीं, कोई जगाने वाला नहीं, वहां जाकर कोई पूछने वाला नहीं. __ हमारा जीवन बिल्कुल निष्क्रिय बन चुका है. मूर्च्छित चेतना लेकर के चल रहे हैं. आत्म जागृति नाम की कोई चीज नही है, संसार की वासना तो ऐसी ही रही. मै रास्ते में जा रहा था. कोई बहत सम्पन्न व्यक्ति था, धनाढ्य था. अंतिम समय की तैयारी चल रही थी, लोग उन्हें रास्ते से लेकर जा रहे थे, मुझे किसी व्यक्ति ने कहा-महाराज, देखिए. बहुत बड़ा श्रीमन्त व्यक्ति था, लोग इसे ले जारहे हैं. भाग्य सम्पन्न था, बहुत सुन्दर तरीके से जीवन जीने वाला व्यक्ति था. अपार संपत्ति उसके पास थी. बहुत बडे-बडे व्यक्ति उसे अंतिम सस्कार के लिए ले जा रहे है. मेरे साथ चलने वाले व्यक्तियों को कहा-ये जहां जा रहे हैं वहां तो सभी जाने वाले हैं, पर हमारी यात्रा एक अलग प्रकार की है, साधु श्मशान से मोक्ष की तरफ जाता है. संसार की वासना से स्वयं को मुक्त करता है. हम श्मशान तो जायेंगे परन्तु हमारा प्रस्थान श्मशान की तरफ ले जाये जा रहे इस धनाढ्य की तरह नही है जिसे संसार में वापस आना है साधु श्मशान से मोक्ष जा रहा है. अन्तर इतना हैं. गुन - 494 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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