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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी क्रोध पर संयम परम कृपाल जिनेश्वर परमात्मा ने जगत के जीव मात्र के कल्याण के लिए धर्म प्रवचन के द्वारा जीवन का मार्ग दर्शन दिया है. किस लक्ष्य तक पहुंचना है? उस लक्ष्य का परिचय इस प्रवचन के द्वारा दिया है. इन शब्दों के द्वारा विचार का ऐसा सुन्दर प्रकाश दिया कि जीवन की यात्रा में कहीं किसी प्रकार की दुर्गति या दुर्घटना न हो. ___परमात्मा के विचारों के प्रकाश के अन्दर, जीवन की यात्रा का पूर्ण विराम मुझे प्राप्त करना है, यह गतिमय चेतना है, इससे दुर्गति न हो जाये इसलिए सावधान हो जाना है, जीवन के अन्दर जरा सा प्रमाद अनन्त मृत्यु का जन्म स्थान बनता है. गाड़ी लेकर के सेल्फ ड्राइविंग करके आप रास्ते से जा रहे हों, जरा भी वहाँ पर प्रमाद आ जाये, परिणाम कितना अनर्थकारी होता है. यह जरा सी भूल जीवन में कई बार बड़ी खतरनाक बनती है. व्यक्ति व्यवहार के अन्दर कह देते हैं. "जरा सी भूल हो गई, प्रधानमन्त्री नीति में जरा सी भूल करे तो देश के लिए कितना खतरनाक होता है? ड्राइवर जरा सी भूल कर जाए तो मौत का कारण बनता है. रात्रि में सोए हों और जरा सी आग की चिंगारी लग जाये और आप उपेक्षा करके प्रमाद से सोए रहे तो क्या परिणाम होता है? खाने में जरा सा जहर आ जाये वह कैसा घातक बनता है? नाव में बैठ करके गंगा पार कर रहे हों, यदि नाव में जरा सा छिद्र हो जाये, उसका परिणाम क्या होता है? गाड़ी लेकर के आप जा रहे हों, गाड़ी के टायर में जरा सा पंचर हो जाये, कैसी रुकावट पैदा हो जाये? ___ आप बिल्कुल स्वस्थ हों, आराम से बैठे हों., जरा सा अटैक आ जाये, क्या स्थिति होती है ? रास्ते चलते समय पांव में कांच या कांटा लग जाये, क्या परिणाम होता है? गति रोक देता है. सारा ध्यान वहां केन्द्रित हो जाता है. कहने को कहा जाता है जरा सी चीज है, परन्तु यह जरा सी चीज कितनी खतरनाक होती है, कभी आपने सोचा है? जीवन की साधना में यदि हम जरा सी भूल कर जाएं, भूल का परिणाम क्या आयेगा? परीक्षा में यदि बालिक जरा सी भूल कर के आ जाये, क्या परिणाम आता है? पूरा वर्ष उसका पानी में जाता है. जरा से समय का भी बहुत बडा मूल्यांकन किया गया है, कि मेरा जरा भी समय व्यर्थ क्यों जाये? समय का उपयोग साधना में है. सद्विचारो में, सेवाकार्यों में मुझे करना है. जीवन के हर व्यवहार का धार्मिक दृष्टि से इस धर्म बिन्दु ग्रन्थ द्वारा उस महान आचार्य ने परिचय दिया. यह परिचय विक्रम शताब्दी सात सौ में दिया गया. इस ग्रन्थ की रचना विक्रम संवत सात सौ के अन्दर हुई. उस समय आचार्य भगवन्त ने दीर्घ दृष्टि से इस / an 491 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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