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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: - अचानक शादी का जब आमंत्रण दिया,स्थूल भद्र महाराज ने मना कर दिया. मुझे शादी की जरूरत नही. कोशा के साथ ही रहे. परिवार ने, गृहस्थ धर्म के निर्वाह के लिए, निर्णय किया कि स्थूलभद्र के छोटे भाई श्रीयक की शादी कर दी जाए. पिता लाचार थे. पिता की आज्ञा का भी उल्लंघन कर दिया. श्रीयक की शादी की तैयारी हुई.. मन में विचार किया की यहां के राजा को क्या चीज भेंट की जाए. यह शादी का प्रसंग है. और मैं यहां का महामन्त्री हूं. पर मगध का इसने विशाल साम्राज्य का किसी तुच्छ उपहार से काम नहीं चलेगा. सोना चान्दी तो सब लेकर के आते हैं. यह तो राजा हैं क्षत्रिय पुत्र हैं, राज्य के रक्षण के लिए कोई चीज हैं, जिससे राज्य को प्रजा का रक्षण हो. धर्म और संस्कृति का रक्षण हो, राजा को भी जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग हो सके. ऐसी वस्तु मैं राजा को अर्पण करूं. बडी शुद्ध भावना थी. भावना में कोई मलिनता नहीं थी. कारखाने खोल दिये, तलवार बन रहे हैं. भाले बरछे, कटार तैयार हो रहे हैं. युद्ध के अन्दर जो जरूरी होते हैं? वे सारे साधन वहां पर तैयार करवाये. शकटार को पैसे की कमी नहीं थी. बहुत बड़ी मात्रा में शस्त्र साम्रगी का निर्माण करवाया. विचार किया कि शादी के प्रसंग पर समस्त चीजें राजा को अर्पण कर दूंगा. ताकि प्रजा के रक्षण के लिए राजा इसका उपयोग कर सके. गांव में नारद तो होते ही हैं. राजा कान के कच्चे होते हैं. दो चार नारद मिल गये. आकर के कान में डाला-राजन्, आप जिस पर इतना विश्वास करते हैं वह प्रजा को भड़का देगा. राजन्, आपका राज्य एक क्षण में चला जायेगा. राज्य का मालिक तो शकटार बनेगा. राजा ने कहा- महामन्त्री मेरे बड़े विश्वस्त हैं. ऐसा हो ही नहीं सकता. तीन-तीन पीढ़ी से उनके पूर्वजों ने प्रजा की सेवा की है. क्या बात बात करते हो? __ राजन्! बिलकुल सही कहता हूं. गांव में ऐसी हवा फैला दी. घर-घर चर्चा का विषय बन गया. राजा कितना कान का कच्चा है कितना अंधविश्वास लेकर के चलता है. यह महामन्त्री का षडयन्त्र लोगों की नजर में था, कारखाने तो लोगों की नजर में थे. साधन सामग्री तैयार हो रहे थे. महामन्त्री के अन्तर भावों को लोगों ने नहीं समझा और महामन्त्री के विरोधियों को मौका मिल गया. पूरे गांव में यह चर्चा का विषय बन गया. राजा वेश परिवर्तन करके निकला. जहां जाये वहीं यह चर्चा, अपनी नजरों से देखा तो कारखाने तैयार हो रहे. हैं. कारखाने में अस्त्र शस्त्र बन रहे हैं. राजा ने मन में गांठ बांध ली. महामन्त्री का सफाया जल्दी करना है. नहीं किया तो मेरे राज्य का भय है. घर की समस्या है, इसका प्रतीकार करना मेरे लिए मुश्किल हो जायेगा. महामन्त्री को बुला कर के राज दरबार में कहा-महामन्त्री तुम्हारे कार्य से मैं पूर्ण परिचित बन चुका हूं. तुम्हारा छल, कपट, माया प्रपंच कुछ नहीं चलने का. चौबीस घण्टे का समय ARE 481 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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