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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी पर्व का जो सन्देश है. अपने जीवन और व्यवहार में उतारकर के जीवन को सफल करने वाला बनूं, पर्व की उदारता है. उस उदारता को जीवन व्यवहार में उतार लू अपूर्व संदेश है पर्व का. धर्म बिन्दु ग्रंथ में भी पर्व की भूमिका के लिए जो मन्त्र बतलाया गया, साधना सिद्ध करने का आत्मा के प्रबल शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का. “अरिषड्वर्ग त्यागेन" ये आत्मा के सबसे प्रबल शत्रु हैं. पर्व की साधना को निष्फल करने वाले धर्म की इमारत को तोड देने वाले. सदभावना को लुप्त कर देने वाले, विचार के प्रकाश को बुझा देने वाले हैं. बड़े प्रबल शत्रु आत्मा को अन्दर से लूट लेते हैं. सर्व प्रथम शत्रुओं का सम्राट, हमारे दुश्मनों का राजा काम. अनादि अनन्त काल की यह वासना आत्मा में भरी है. आत्मा का प्रथम नम्बर का शत्रु है, वह सारी साधना खण्डित कर देता है. क्रोध तो प्रकट रोग और काम अप्रकट रोग है. प्रकट रोग का इलाज करना बड़ा सरल होता है. फ्रेक्चर हो जाये, घाव हो जाये, जरक हो जाये, डाक्टर के पास जायें, सारा इलाज आसानी से कर देगा. सारा रोग देख कर ठीक कर देगा. कोई रोग दिख रहा है. उसके कारण नजर आ रहे हैं परन्तु अन्दर में कोई रोग हो, सिर में हो, पेट में हो, गले में हो, जो जल्दी दिखेगा नहीं, वह बड़ा भयानक होता है. क्रोध प्रकट रोग हैं. उपचार हो जायेगा. दस आदमी बचाने वाले मिल जायेंगे. समझाने वाले मिल जायेंगे, लोक लज्जा से कदाचित् आप के अन्दर का यह जहर दिखेगा नहीं. सामने वाले व्यक्ति को जल्दी नजर नहीं आयेगा. उसका उपचार सम्भव नहीं. वह तो व्यक्ति को स्वयं ही सावधान रहना है. कि अन्तर शत्रुओं का राजा अन्दर सक्रिय बन रहा है, उसे कैसे मूर्च्छित किया जाये. सभी साधनों का कल विशेष रूप से परिचय आया. परिचय हमारे लिए पतन का कारण बनता है. परिचय के अन्दर पूर्ण विवेक होना चाहिए. दृष्टि में पवित्रता आनी चाहिये तब तो परिचय आशीर्वाद रूप बन जाये, वह देखने की कला प्रभु ने बतलाई. "मातृवत् परदारेषु" नीतिकारों ने चिन्तन दिया कि देखने का यदि कोई मौका आ जाये, कदाचित् देखना भी है तो मातृवत्. जैसे ही मां का शब्द आप मन में स्मरण करेंगे, जो ऐसा महामन्त्र है काम मूर्छित हो जायेगा. ऐसी अन्दर में भावना आनी चाहिये कि जहर भी अमृत बन जाये. एक स्मरण करते ही शब्द का प्रभाव मन की वासना को मूर्च्छित कर दे. ___महाराष्ट्र के युद्ध में अहमद नगर के किले से बहुत से सैनिकों को शिवाजी ने पकड़ लिया. बहुत से परिवार के लोगों को भी लेकर आ गये. उनके साथ एक सुन्दर नवयुवती छत्रपति शिवाजी के पास लायी गयी. 477 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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