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गुरुवाणी
आज तक भरण-पोषण किया क्या वह परिवार भी उस शरीर को रखना पसन्द करेगा? नहीं.
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यह संसार स्वार्थ से भरा है. अलग-अलग प्रकार के स्वार्थ हैं. बहुत ज्यादा यदि अनुराग है, तो वहाँ पर भी स्वार्थ है. जिस संसार को आप अपना मान कर के चल रहे हैं, जिसके अनुराग के लिए आप अपना जीवन दे रहे हैं. क्या आपने कभी सोचा कि वह संसार वास्तव में मेरा है? यह धर्मशाला है. परिवार के जितने भी सदस्य हैं, सभी यात्री हैं, सब अपने कर्म के अनुसार आए हैं और न जाने कब कौन चला जाएगा.
यदि आप इस धर्मशाला के अन्दर अतिथि रूप में आए हैं और आप अतिथि बन कर यदि इसमें रहें, तब तो कोई समस्या नहीं, कोई अटेचमेंट (मोह) नहीं. यदि आप मालिक बनने की कोशिश करेंगे, तो अनेकशः समस्याएं पैदा हो जाएंगी. उदाहरणार्थ किसी के घर यदि आप अतिथि बन कर के जाएँ तो आपको कोई चिन्ता रहती है कि नाश्ता कब आएगा? खाना कब मिलेगा? सारी सुविधाएं मिल जाती हैं क्योंकि आप अतिथि हैं. वे सारी चिन्ताएं मकान मालिक पर हैं. यदि स्वयं को अतिथि बनाकर संसार में रहें तब तो बहुत कुछ सुख मिल सकता है. परन्तु हम अपनी आदत से लाचार हैं – मालिक बन कर रहने की कोशिश करते हैं और जैसे ही वह भाव अन्दर आता है - अटेचमेंट (मोह) का आवरण द:ख एवं अशान्ति को आमन्त्रित करता है. हमारा जीवन क्लेशमय होकर तमाम उलझनों से जकड़ उठता है. __इस प्रकार जिनके लिए आपने सब कुछ किया, वही आपको विदाई देते है. यह आपको मालूम है कि यह घर मेरा नहीं और परिवार भी संयोग से मिला है. यह शरीर और संसार सब उधार का है और उधार की दुकान पर आप दीवाली मनाने की कोशिश करें तो आप स्वयं ही इस तथ्य पर चिन्तन करें कि कब तक मनाएंगे? पैसे से ज्यादा कीमती यह शरीर है और शरीर से ज्यादा कीमती आत्मा है.
आप स्वयं स्वीकार करेंगे कि हमारा ज्यादा से ज्यादा समय या तो पैसे के लिए या शरीर के लिए या संसार सुखों को प्राप्त करने के लिए लगता है. आत्मा के लिए परमात्मा के ध्यान में या अथवा साधना में हम कितना समय लगाते है. और यदि जो समय हम देते भी हों तो वह समय किस प्रकार है जो सामायिक लेकर आप बैठे हैं, परमात्मा का स्मरण कर रहे हैं या फिर माला फेर रहे हैं. आप परमेश्वर को साक्ष्य मानकर बैठे है कि अडतालिस मिनट तक साधु रूप में स्थिर चित्त होकर आराधना करेंगे मन, वचन,
और कर्म से कोई ऐसे कार्य में प्रवृत्ति नहीं करेंगे, जो आत्मा के प्रतिकूल हो. आप प्रतिज्ञाबद्ध होकर सामायिक में बैठे हों और संयोगवश, बच्चे स्कूल गए हों, घर में कोई न हो और उस समय पर यदि कोई कुत्ता सीधे ही आपके चौके में जाए और एक-आध लीटर दूध वगैरह पड़ा हों तो आप सामायिक बचाएंगे या दूध आदि बचाएंगे?
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