________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी जायेगा, क्रोध का ज्वर जहां तक शान्त नहीं होगा, वहां तक धर्म की रुचि पैदा नहीं होगी. वहां तक इस आहार में आनन्द नहीं आयेगा. प्रसन्नता नहीं आयेगी. अभी तक तो यही निदान चल रहा है कि क्रोध के ज्वर को कैसे शान्त किया जाये. यह टैम्प्रेचर कैसे डाउन हो. यदि एक बार टैम्प्रेचर चला जाये, स्वयं आपको भूख लगेगी. उपाय बतलाएंगा, आज तो समस्या बतलाई, कल उपाय बतलाउंगा. "सर्वमंगलमांगल्यं सर्वकल्याणकारणम् प्रधानं सर्वधर्माणां जैन जयति शासनम्" जब तब अपने पापों के प्रति रुदन प्रकट न हो, तब तक भीतरी मलिनता का प्रक्षालन नहीं होगा और जब तक चित्त की शुद्धि नहीं हो जाती, साधना का सिद्धि असम्भव है. अतः आज यह अत्यनत उपादेय है कि परमात्मा के पथ की जिज्ञासा तीव्र बने, संसार की आसक्ति कम हो और अपने पापों के प्रति भव व रुदन हो. 460 For Private And Personal Use Only