SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 483
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी - बाहर ना चला जाये, परन्तु साधु सन्त आजाद इसलिए है कि वहां कर्म आगे चलता है उनकी खिदमत में रहता है, उनके आदेश का पालन करता है, आंख को कहा नहीं देखना. मजाल है आंख देख ले. कानों को आदेश दिया गलत शब्द नहीं सुनना, सब दरवाजे बन्द हो जायें. जुबान को कहा तुम्हें खाना नहीं. इस का त्याग, स्वाद का पोषण नहीं करना, शरीर का पोषण करना है, जीभ चुप हो जाती है, जरा भी उपद्रव नहीं करती. परन्तु आपको रास्ते में जाते हुए मन के अनुरूप वस्तु मिल जाये, जीभ कहे मुझे खिलाओ तुरन्त खाने लग जायें. रास्ते में कहीं सिनेमा का पोस्टर नजर आया और आंख ने कहा मझे दिखाओ. तरन्त देखें किसी सन्दर महफिल में गीत सना, कान ने कहा बैठ जाओ. बैठ गये. कैसी गुलामी. साधु कभी इस गुलामी में नहीं रहते. इसीलिए कर्म हमारे सामने चलता है. साधु के आदेशानुसार कार्य करता है. मौजूद जरूर है परन्तु कार्य में अन्तर मिलेगा. अन्तरात्मा में हमारा सबसे प्रबल शत्रु अनादि अनंत काल से काम है. अनादि कालीन मैथुन संज्ञा. विषयों से भरी हुई आत्मा है. और परमात्मा ने इसका बड़ा सुन्दर उपाय बतलाया. काम को काम से जीतो. मन को कभी खाली न रखो, एकान्त कभी न दो, जिससे वह विषय चिन्तन करने लग जाये. गलत विचार आने लग जाये. कहीं न कहीं सुन्दर कार्य में, प्रवृति में मन को जोड़ कर चले. अच्छे-अच्छे व्यक्तियों को चलायमान कर दिया. विश्वामित्र जैसे ऋषि वर्षों से जंगल में तप करने वाले, कन्द मूल तो क्या, सूखे पत्ते खाकर अपना निर्वाह करते थे, वहां पर भी उनको नहीं छोड़ा, जो माल खाते हों, और ऐसी जगह पर रहते हों, वहां क्यों छोड़ेगा. मन को समझाना पडेगा विषयों को कमजोर करने के लिए. घर के अन्दर सन्त तुलसी दास राम के परम भक्त में कैसा परिवर्तन आया, एक शब्द का प्रहार उनके जीवन को परिवर्तन करने वाला बन गया. कई बार एक शब्द की चोट आप को जगा देती है. शब्द का प्रहार अन्तस् चेतना को जगाने का साधन बन जाता है. कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है. गांव का एक सबसे बड़ा बदमाश, बड़ा उपद्रवी व्यक्ति था. पूरा गांव उससे डरता था, बडा भयंकर खूखार व्यक्ति थां एक साधु कहीं से घूमते हुए वहां आये. जैसे ही उनका आना हुआ गांव के लोगों ने शिकायत की कि ऐसा बदमाश व्यक्ति है, उसे आप समझाएं. गांव के एकान्त में जाकर वह साधु बैठ गया. कहा - मौका देखकर उसे समझाऊंगा. कुछ दिन बीते. बदमाश व्यक्ति था कहीं से चोरी करके आया. श्मशान के अन्दर ही एक देवी का मन्दिर था, वहीं उसका अड्डा था. जैसे ही वहां वह व्यक्ति पहंचा, सन्त ध्यानस्थ बैठे थे. अन्दर में पूर्ण जागृत थे. व्यक्ति आया, आने के साथ समझ गये कि वही व्यक्ति है जिसके लिए गांव वालों ने कहा था. पूरा गांव जिससे डरता है. 454 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy