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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी तुम्हारी भूल के कारण ये सैनिक रेगिस्तान में मारे गए. सोने से पेट नहीं भरता, प्यास नहीं बुझती, भौतिक साधनों से आत्मा को तृप्ति नहीं मिलती. प्राण नहीं मिलता. जीवन में सब कुछ करें. सारी दुनियां के मालिक बन जाएं परन्तु आत्मा की शान्ति कहां से लाएंगे? शान्ति सिवाय धर्म साधना के कहीं से नहीं मिल सकती. पैसा आपके पास है. कदाचित शरीर बीमार पड़ जाए, कोई व्याधि आ जाए, उस समय आपके पास पैसा होगा, साधन या शक्ति होगी. एक नहीं दस डाक्टर आप बुला सकते हैं. पैसे से डाक्टर मिल जाएगा, नर्सिंग होम मिल जाएगा. पैसे से आप दवा मंगवा लेंगे, दवा मिल जाएगी, सब कुछ मिल जाएगा. सेवा करने वाले नौकर मिल जाएंगे. आयु कहां से लाएंगे? जीवन कहां से लाएगे? शान्ति कहां से लाएंगे? जीवन की सारी सम्पति भी यदि आप अर्पण कर दें तो भी वह मिलने वाली चीज नहीं है. कोई डाक्टर ऐसा नहीं है जो आयु प्रदान कर सके. या मानसिक शान्ति प्रदान कर सके. आश्वासन देंगे. अन्तिम समय में वे भी इशारे से समझा देगें, परमात्मा का नाम लो. सांप कितना ही बिल के बाहर चले परन्तु जब बिल आता है तो वह भी सीधा हो जाता है. व्यक्ति के पास पैसा आ जाए, पोकेट में गर्मी आ जाए, दिमाग में तेजी आ जाए. सुख संपति का नशा चढ़ जाए, पागल बन जाए, सब कुछ हो जाए. संसार में कितना ही टेढा चले परन्त जब मौत आती है तो हर व्यक्ति सीधा हो जाता है. बड़ी भारी लाचारी आ जाती है. साधना के बिना शान्ति कहीं मिलने वाली नहीं, एकाधिकार है धर्म का. धर्म की साधना करेंगे, मृत्यु के समय शान्ति का अनुभव मिलेगा. परलोक जाने पर सद्गति मिलेगी, सुन्दर गति में जाना होगा. कम से कम वर्तमान में भाग्य को न बिगाड़े, पाप का भय अन्दर में आ जाए, तो परमेश्वर की प्राप्ति सरल बन जाए. ___जहां तक पाप का भय अन्दर तक प्रवेश नहीं करेगा, तब तक उभय की प्राप्ति नहीं होगी. परमेश्वर का प्रेम और अनुराग भी नहीं मिलेगा. गर्मी में आप जाते हो, बड़ी भयंकर गर्मी हो. ऐसी भयंकर गर्मी में यदि कोई मकान मिल जाए और आप उसमें चले जाएं तो कितनी ठण्डक मिलेगी. सुख का अनुभव करके गर्मी से बच जाएं, पाप से बच जाएं. धर्म का आश्रय लेने वाले को इसी तरह संसार के ताप से रक्षण मिलता है. हर रोज अनुभव करते हैं. रास्ते में गर्मी लगी कि छाया में खडे हो जाते हैं, शान्ति मिली, विश्रान्ति मिली, मन को तृप्ति मिली. संसार एक दावानल हैं. पूरा संसार जल रहा है, हर व्यक्ति क्रोध की आग में जल रहा है, सारा संसार ताप से भरा है. इस भयंकर ताप से रक्षण देने वाला मात्र धर्म है. एक बार यदि धर्म का शरण ग्रहण कर लिया जाए तो जैसे व्यक्ति धूप से छाया में आता है. सुख शान्ति मिलती है. उसी तरह धर्म सुख शान्ति प्रदान करने वाला बनता हत 446 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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