________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: उसमें क्या लिखा है? सामने लिखा है-डूबते व्यक्ति को बचाये तो पांच सौ इनाम. पीछे लिखा है-मरे मुर्दे की लाश निकाले तो एक हजार इनाम." चन्दू लाल ने कहा बरोबर फंसे. अच्छा सुधार किया. उसने कहा- “मैं पन्द्रह सौ दूंगा. गंगा की कसम मुझे बचाओ.” मफतलाल ने बचा तो लिया, पन्द्रह सौ रुपये मिले गये. 'धर्म का धर्म हो गया, काम का काम हो गया.. शद्ध भावना से अगर धर्म किया जाये, जगत की याचना भी एक प्रकार का स्वार्थ है. जब स्वार्थ की भूमिका पर आप धर्म करेंगे, वह धर्म आत्मा के लिए टोनिक कैसे बनेगा. वह पुण्य को जन्म देने वाला कैसे बनेगा. किस तरह से वह धर्म साधना मेरी आत्मा को पोषण देने वाला बने. सारे धर्मो के अन्दर उसका प्राण परोपकार की भावना है. भगवान ने यही आदर्श दिया, वह आदर्श हमारे जीवन में रहा नही. किसी धार्मिक तत्त्व का विशेष परिचय नहीं रहा. न हमने कभी आत्मा के विषय में जानने का प्रयास किया. सारा समय संसार उपार्जन में गया. स्वयं को प्राप्त करने की प्यास आज तक पैदा नहीं हुई. यही कारण है कि हम भटकते रहे. मार्ग मिला नहीं, चलने का रास्ता नहीं दिखा. साधु पुरुष इसीलिए मार्ग दर्शन देते हैं, विचार का प्रकाश देते हैं. यह मोक्ष मार्ग का रास्ता है. “सम्यक् दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्ग:" जीवन में सम्यक श्रद्धा, आ जाये, अन्ध श्रद्धा के अन्धकार से आप निकल जायें, सम्पर्क प्रदान की भूमिका पर यात्रा प्रारम्भ करें. साथ में ज्ञान का प्रकाश. सम्यक ज्ञान जगत को लुटने का ज्ञान नहीं, पेट भरने का ज्ञान नहीं. सम्यक् विशेषण लगाया गया, ज्ञान पर विवेक का अनुशासन रखा गया. चोरी करने वाले चोर के पास बहुत ज्ञान होता है. एटम बम का आविष्कार करने वाले को भी ज्ञान था. एटोमिक पावर उसने तभी सारे जगत के नाश के लिए दिया. महावीर ने कहा ज्ञान नहीं, सम्यक ज्ञान, ज्ञान पर विवेक का नियन्त्रण हो, जो ज्ञान सम्यक हो, आत्मा का कल्याण करने वाला, मोक्ष मार्ग का दर्शन देने वाला हो. डा. राधा कृष्णन् जैसे व्यक्ति ने बड़े सुन्दर शब्दों में कहा “नो एजुकेशन बट करेक्टर इज मैन्स ग्रेटेस्ट नीड एन्ड ग्रेटेस्ट सेफगार्ड," जो चरित्र का निर्माण करे वह ज्ञान चाहिए यहां जरूरत चरित्र के निर्माण की है. “सा विद्या या विमुक्तये" संसार की वासना से जो मुक्त करे वह ज्ञान चाहिए. पेट तो कुत्ता भी भर लेता है. आप परिवार का भरण पोषण कर लें, पेट भर उसमें कोई बहादुरी नहीं, वह कोई सम्यक ज्ञान नहीं, अनेक आत्माओं के लिए कल्याणकारी बनें, मार्ग दर्शन देने वाला बनें, वह सम्यक ज्ञान है, जो जीवन में आदर्श उपस्थित करे, वही सम्यक ज्ञान. यह ज्ञान आपको कालेज न 439 For Private And Personal Use Only