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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी: कुंभ के मेले पर मफत लाल स्नान करने गये. बहुत पाप किया होगा. बारह वर्ष का एक साथ स्नान करके प्रक्षालन कर लूं. पापों से मुक्त हो जाएं. अहमदाबाद से भी चन्दूलाल पहुंचे कि बड़ा सस्ता है, अगर बिना पैसे पुण्य मिलता है तो कौन छोड़े. वह भी जायेगा. मफतलाल बहत होशियार थे चन्दू लाल भी किनारे बैठे थे. चन्दू लाल शरीर के स्थूल थे, स्नान कैसे करें? उलझन में थे. लोटा लेकर के स्नान कर रहे थे. मफतलाल ने कहा ऐसे कोई कुम्भ का स्नान होता है. डुबकी लगाओ पाप धुलेगा. लोटे से पाप नहीं धुलता. दोनों मे विशेष परिचय नहीं था, सहज में कह दिया. चन्दूलाल ने कहा-"क्या करूं, मुझे तैरना नहीं आता. डुबकी लगाऊं यदि डूब जाऊं तो." ... "मैं बैठा हूँ न, चिन्ता काहे को करते हो." "तुम्हारा विश्वास क्या? तुम्हारा मेरा परिचय क्या? कोई परिचय नहीं. यह तो घाट किनारे तुमने बता दिया. यह क्या गारन्टी की डुबकी लगाऊं और तुम बचा लो. इतना बड़ा परोपकार करोगे मुझे कैसे विश्वास हो." ___ मफतलाल ने कहा "उधर देखो (उत्तर प्रदेश सरकार) का बोर्ड लगा है, उस बोर्ड को पढ़ो? व्यवस्था सरकार की. अगर कोई डूबने वाले व्यक्ति को बचाये तो पांच सौ रुपये का इनाम." मफतलाल शिकार की खोज मे थे. कोई मिल जाये. आने जाने का भाडा तो वसूल हो जायेगा. __ चन्दू लाल ने कहा---"लिखा तो है, बचाने वाले को पांच सौ का इनाम. क्या पहला प्रयोग मेरे ऊपर ही करोगे?" “यार इतनी दूर से आये, अहमदाबाद से, कम से कम पूरा स्नान करके तो जाओ. डरते काहे को हो पैसा तो लगेगा, सरकार का लगेगा. गारन्टी देता हूँ, बचा लूंगा. तुमको पुण्य लाभ करना है." जरा विश्वास पैदा हुआ. चन्दूलाल ने हिम्मत की और कूद गये. घाट के किनारे पानी गहरा था. डुबकी लगाई दो तीन डुबकी लगाई, घबराये चिल्लाये “मफतलाल! बचाओ.. "जल्दी क्या है, बहुत पाप किया होगा, और डुबकी लगाओ. दो चार में तो परलोक की यात्रा हो जायेगी," "मुझे बचाओ." "जल्दी क्या है? बचा लूंगा जरा ठहरो." "तुमको पांच सौ का इनाम मिलने वाला है, मैं साक्षी दूंगा. इसने मुझे बचाया. मेहरबानी करके मुझे निकालो. मेरा दम घुट रहा है. तैरना आता नहीं.” तीन चार डुबकी लगा दिया. मफतलाल कहता है-"तुमने एक साइड का साइन बोर्ड पढा. बैकसाइड नही पढ़ी. PRIT 438 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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