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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3Dगुरुवाणी संसार के विषय पाप, राग, द्वेष का जल तो अन्दर भरा हुआ है. मन की बोतल में, पहले उसे खाली कर लीजिए फिर गुलाब का जल, भक्ति और भावना उसमें आएगी. एक बोतल में दो चीज नही आती. __ हाथ में लोटा लेकर के कहीं से छाछ मुफ्त में लाए, यदि कोई दूध देने वाला मिल जाए तो उसके अन्दर दूध नही आएगा. छाछ खाली ही करना पड़ेगा. लोटा एक है पदार्थ दो. क्या ग्रहण करना है? उसमें आपको विवेक चाहिए कैसे ग्रहण करना है? उसका भी विवेक होना चाहिए. __गांव के अन्दर लोग छाछ लेकर आते हैं. मुफ्त में मिलता है. छाछ का कोई मूल्य नहीं होता. यदि लोटा अपने बच्चों को पकड़ा दिया कि छाछ लेकर आओ और दूध भी, दो लोटे लेकर जाते हैं. मफ्त में छाछ ले आते हैं और पैसा देकर दध ले आते हैं. यदि आपको ऐसा प्रसंग मिले, तो आप छाछ का लोटा किस हाथ में पकडेंगे और दूध का किस हाथ में? दाहिने हाथ में पकड़ें. पैसा देकर लिया है. यह गिरना नहीं चाहिए. छाछ का लोटा बाए हाथ में. अगर गिर जाए तो चिन्ता नहीं. मुफ्त में लिया है. ज्ञानियों की भाषा में कहा गया है-यह शरीर भी लोटा है. आत्मा भी एक लोटा है. परन्तु आत्मा को गर्व है, दूध से भरी हुई आत्मा है. अति मूल्यवान तत्व इसके अन्दर है. शरीर तो छाछ से भरा हुआ है. मल मूत्र से भरा है. इसमें कुछ नहीं. दोनों लोटा सही तरीके से पकड़ना, दाहिने हाथ में आत्मा का लोटा और बांए हाथ में शरीर का लोटा. शरीर में से यदि गिर जाए, पकड़ा जाए, कोई चिन्ता की बात नहीं, दोनों एक सरीखे मूल्यवान नहीं, परन्तु आत्मा के गुण बाहर नहीं जाने चाहिए, गिरना नहीं चाहिए, छलकना नहीं चाहिए. पूर्ण सुरक्षित ही रहना चाहिए. __ यदि आत्मा की दृष्टि से आत्मा के मूल्य को समझ करके चले. तब तो जीवन में कोई प्रश्न नहीं रहता है. नहीं विचारते हैं तो जीवन सारा प्रश्नों से भरा है. विचारों के जंगल से घिरा है. उलझनों से घिरा हुआ यही जीवन है. वर्तमान का बहुत सारे विचार की भी अन्दर भरे हए हैं. इस भीड में से आशा को खोज लेना है. प्रवचन के अन्दर भगवती सूत्र चल रहा था. तत्व ज्ञान का भण्डार, सारी जैनालोजी, उसके अपूर्व तत्व ज्ञान, भगवती सूत्र से बढ़कर कोई ग्रन्थ आपको नहीं मिलेगा. जर्मनी के बहुत बड़े विद्वान जैनालोजी के डा० ब्राउन अहमदाबाद मिले. वहां के यूनिर्वसिटी के चेयरमैन हैं. जब मैंने उनसे पूछा-यहां आने के बाद जैन फिलोसफी की आपने स्टडी की, आपको क्या मिला? “महाराज, क्या बतलाऊं? भगवान महावीर के ये जो सूत्र हैं. भगवती सूत्र जैसा महान ग्रन्थ अपूर्व विज्ञान का भण्डार है. सारा साइंस भरा हुआ है." उस व्यक्ति ने अपनी प्रसन्नता प्रकट की और कहा-महाराज ये सूत्र पढ़ने के बाद ही आशीर्वाद आपसे चाहूंगा. कोई 414 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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