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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी % 3D क्षेत्र में जा रहा था, विदाई दी गई. महारानी ऊपर से देख रही थी. अपनी परिस्थिति का निरीक्षण कर रही है. राजकुमार जा रहा है. सामने परन्तु दृष्टि राजमहल में है बार-बार घूमकर के देख रहा है. ममत्व का बन्धन टूटा नहीं, यह महारानी ने विचार किया. यह युद्ध में मार करके आएगा कि हार करके आएगा. यह विजयी बनने के लक्षण नहीं हैं. मेरे प्रति अनुराग इनका पतन बन जाएगा. उपाय करना चाहिए इस में जोर आ जाए. महारानी ने कुछ नहीं किया अन्दर जाकर अपनी दासी को बुलाया. दासी को कहा - "तुम मुझे वचन दो. मेरे आदेश का पूरा पालन करेगी.” “दास और अनादर करूं, ऐसा सम्भव नहीं." चांदी की थाली मंगवाई. रेशमी रूमाल मंगवाया, कहा "इसके अन्दर जो चीज मैं रखू युद्ध के मैदान में जाकर अभी-अभी राजा को प्रदान करना और कहना-आपके लिए भेंट भेजी है. बोल, मुझे वचन दे, आदेश का पालन होगा?" "हां-बिल्कुल!" महारानी ने तलवार निकाली, एक ही झटके के अन्दर अपनी गर्दन उतार दी, गर्दन थाली में आकर गिरी. प्राणों की आहति दे दी. वह समझ गई मेरे बलिदान के बिना राज्य में विजय की सफलता प्राप्त करना बहुत मुश्किल है. मैं अपना बलिदान दे करके कुल की परम्परा का रक्षण करूं. मेरे पति कायर न बन जाएं. प्रजा के अन्दर तिस्कार के पात्र न बन जाएं. महारानी ने जैसे ही अपनी गर्दन उतार दी, दासी एकदम घबरा गई, मनोबल केन्द्रित करके वचन दिया है, उसका मुझे पालन करना है. पहले तो हत-प्रभ बन गई. हाथ में थाली लेकर के घोड़े पर सवार हो कर युद्ध क्षेत्र में पहुंची. दासी ने राजा के पास जाकर कहा-राजन! महारानी ने आपके लिए भेंट भेजी है. जैसे ही रानी शब्द सुना तलवार म्यान में चली गई. मोह दशा, राग दशा का लक्षण, सारा ध्यान उधर आ गया. कौन सी ऐसी चीज़ है? युद्ध के मैदान में. उधर यद्ध चल रहा है. सारे सैनिक जी जान से लड़ रहे हैं. परन्तु राजा जो उस युद्ध का कारण है, राग दशा में उसका जीव था - थाली के अन्दर क्या है? इसके अन्दर के रहस्य को जानने में था. जैसे ही वह रूमाल उठाया, रानी की गर्दन उसमें नजर आई. राजा स्तब्ध रह गया. उसका राग खत्म हो गया. अरे, जिस महारानी ने मुझे कलंक से बचाने के लिए, प्रजा के तिरस्कार से बचाने के लिए. मेरे कुल की इज्जत के रक्षण के लिए, अपने प्राणों का बलिदान कर दिया, मैं कैसा कायर? हाड़-माँस के पिंजरे के अन्दर अपना जीव अटक गया, कैसी राग दशा? चलाई तलवार, घमासान युद्ध हुआ. वीरता से लड़ने का परिणाम. युद्ध में विजय प्राप्त करके आया. दुश्मन की सेना वहां से भाग गई. सेना पति गिरफ्तार कर लिया गया. बहुत शानदार उनका नगर में प्रवेश हुआ. 412 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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