________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3Dगुरुवाणी "भगवन्, अज्ञानता में हम कुछ समझ ही नहीं पाए. हमें कोई जानकारी नहीं, कोई ज्ञान नहीं. हमने तो चटनी पीसने में ही इसका आज तक उपयोग किया." उत्तराध्ययन सूत्र में भगवान महावीर के मुख से निकला यह शब्द, यह उदाहरण, उन्होंने कहा हमारा यह मानव जीवन भी इसी प्रकार का है. जिन्दगी भर चटनी पीसने में ही पूरा हो जाता है. वर्तमान मानव जीवन चिन्तामणि रत्न जैसा है. मोक्ष का फल देने वाला. सारी मनोकामना पूर्ण करने वाला, यदि इसका सम्यक प्रकार से उपयोग किया जाए, तो यह मोक्ष का फल देने वाला. पण्य का फल देने वाला है. सारे संसार की समद्धि आपके चरणों में अर्पण करने वाला है. परन्त यह सारा ही जीवन परिवार के भरण पोषण में, धनोपार्जन में अपने विषयों की तृप्ति के लिए, नमक, मिर्च, मसाला, चटनी पीसने में ही हम पूरा करते हैं, इससे आगे भी मुझे कुछ करना है. यह आज तक हमारे लक्ष्य में नहीं आया, जीवन के भविष्य को कभी वर्तमान में हमने नहीं देखा. जीवन की कोई योजना नहीं, कभी उसमें निर्माण नही किया. मकान बनाते हैं, इंजीनियर के पास जाते हैं, इंजीनियर आपको मकान का नक्शा बनाकर देता है तब आप मकान बनाते हैं, किसी भी विषय पर सलाह लेनी पड़ती है. तो हम वकील के पास जाते हैं. कानून के लिए कि हमारा रक्षण किसके अन्दर है उसके उपाय हमको बतलाओ, सलाह लेते हैं, शरीर के अन्दर कोई बीमारी आई तो डाक्टर की सलाह लेते हैं. कभी मन में गडबडी होने पर साध-सन्तों से सलाह ली है कि हमारे जीवन का मार्ग-दर्शन दीजिए, मैं बड़ी समस्या में हूं. कभी प्रयास नहीं किया, कभी जीवन का नाम बनाने का हमने सोचा तक नही, कि जीवन की कोई ऐसी सुन्दर योजना हम बनाएं कि जिससे हमको सफलता मिले. हमारे जीवन की बहुत बड़ी उलझन है. ज्ञानियों ने कहा संसारी आत्माओं के कल्याण की भावना से, अमर आत्मा में परमात्मा के प्रति आस्था भी आए सम्यक ज्ञान का गुण प्रकट हो जाए तो जीव संसार में डूबेगा नहीं बल्कि तैरेगा. वह डूबने नहीं देगा. नदी या समुद्र में यदि कोई गिर जाए तो लाइफ जैकेट दिया जाता है. टयूब दे दिया जाता है, अगर उसका आश्रय ले ले तो डूबे नहीं. सम्यक् ज्ञान संसार सागर के अन्दर लाइफ जैकेट जैसा है. यदि उसका प्रयोग कर लिया जाए, कदाचित आप में ज्ञान न हो, जीवन में सक्रियता न हो. विचारों से यदि आत्मा मूर्छित हो, यदि लाइफ जैकेट उसके पास है तो भव सागर में डूबेगा नहीं, बहने लग जाएगा. कोई न कोई आप को किनारा बताने वाला भी मिल जाएगा, आश्रय देकर किनारे पहुंचा भी देगा. लेकिन सम्यक् ज्ञान की भूमिका पहले चाहिए. जब आत्मा में श्रद्वा गुण प्रकट होता है, विकसित होता है और उसके लक्ष्य स्वरूप, राग और द्वेष क्षय होते हैं. कोई द्वेषभाव उसके अन्दर नहीं रहेगा, जगत की आत्माओं 410 For Private And Personal Use Only