SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 429
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी - जरा भी उसके स्वाद में प्रसन्नता नहीं. स्वाद आएगा, शरीर का धर्म है. यानी जीभ पर रखा, स्वाद आएगा परन्तु स्वाद नहीं, उसकी प्रसन्नता नहीं मिली, भाड़ा दे दिया. शरीर से काम लेना है, इस नौकर से काम लेना है. मेरी धर्म साधना में शरीर सहायक है. इसकी सहायता लेने के लिए हम इसका पोषण करते हैं, विषय के पोषण के लिए नहीं, धर्म के पोषण के लिए, परन्तु लेने का तरीका होना चाहिए, आहार किस प्रकार की भावना से दिया जाए. हमारे आगमों में एक उदाहरण आता है. कि तपस्वी आत्मा, साधु, साधक आहार कैसे करें, जीभ पर अधिकार कैसे प्राप्त करें, आहार करने का जो वर्णन दिया है. बड़ा अपूर्व है. एक था बहुत बड़ा श्रीमन्त सेठ, किसी कारण उसका जो घर का नौकर था बड़ा बदमाश था. संयोग कि एक लड़का था, इतना श्रीमन्त परिवार, परन्तु परिवार में मात्र एक लड़का था. एक सेठानी एक स्वयं घर की सेवा के लिए एक नौकर रखा. नौकर बड़ा बदमाश था, बदतमीज था. उदाहरण द्वारा समझाया है आहार कैसे किया जाए. संयोग घर में नौकर रहता, मन में उसका एक ही विचार था कब मौका मिले, कब यहां से लूट करूं. वह मौके की ताक में था. एक दिन किसी कारण से सेठ तीर्थ यात्रा पर गए. सेठानी किसी काम से पड़ोस में गई, नौकर को मौका मिला, इकलौता लड़का सोने से लदा हुआ. लाड़ प्यार से बड़ा हुआ. नौकर लड़के को मार करके उसका सारा माल लेकर गायब हो गया. यह समाचार जैसे ही मिला पड़ोसी आए, सेठ को बुलाकर लाए, राजा के पास गये. राजा ने कोतवाल को आदेश दिया-उस नौकर को पकड़ लिया जाए. पकड़कर उसे आजीवन कारावास की सजी दी गई. अन्तिम समय कुछ ऐसे प्रसंग आए. संयोग ऐसा, किसी ने राजा के कान में चुगली कर दी कि सेठ टैक्स चोरी करता है. आपके राज्य के विरुद्ध कार्य करता है, आपके दुश्मन राजा को जाकर पैसा देता है. आपके लिए षड़यन्त्र करता है, राजा के कान कच्चे थे, सेठ को भी पकड़ा गया. राजा ने विचार किया, इसको सजा कैसे दी जाए. क्या सजा देनी चाहिए. राजा ने सजा घोषित की इस सेठ को इसके नौकर के साथ एक ही बेड़ी में डाला जाए. ताकि अपने इकलौते बेटे के खुनी को हमेशा देखकर जला करे, इसका खून जला करे. प्रतिशोध की भावना इसके अन्दर में रहा करे. दुखी करने का उपाय बतलाया. इसको एक ही रस्सी में बंद रखना कठोर सजा थी... आपका ऐसा कोई पत्र हो. और इस प्रकार की दुर्घटना हो जाए उसी कैदी के साथ आपको रहना पड़े, जिसने इस प्रकार का घृणित कार्य किया हो. आपके मन में क्या आएगा. उसे देखते ही एक दम दुर्भावना आ जाए, द्वेष भर जाए. a 400 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy